उत्तराखंड

..तो अब हथियारों से लैस होकर सुरक्षा का मोर्चा संभालेंगे होमगार्ड!

 देहरादून (गौरव ममगाईं)। तो अब उत्तराखंड होमगार्ड के जवान जल्द अर्ध्दसैनिक बलों की तरह सुरक्षा का जिम्मा संभालते नजर आयेंगे। इसके लिए धामी सरकार उत्तराखंड होमगार्ड को राज्य के औद्योगिक व महत्वपूर्ण संस्थानों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपने की तैयारी में है। यहीं नहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले जवानों के वेतन वृध्दि पर भी विचार कर रहे हैं। सीएम धामी द्वारा होमगार्ड की बेहतरी की दिशा में यह तीसरा बड़ा कदम है।

दरअसल, वर्तमान में प्रदेश मे हजारों की संख्या में होमगार्ड सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान में होमगार्ड जवानों की ट्रैफिक पुलिस व नागरिक सेवाओं में सहयोगी कर्मियों के रूप में सेवाएं ली जा रही हैं। मगर, अब सीएम पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड होमगार्ड को अग्रिम मोर्चे पर तैनाती की बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जा रहे हैं। इसके लिए होमगार्ड जवानों को पुलिस की तरह कड़ी ट्रेनिंग भी दी जायेगी। जाहिर है कि यह जिम्मेदारी चुनौतीपूर्ण भी रहेगी, इसलिए सीएम धामी इन होमगार्ड जवानों का वेतन बढ़ाकर उन्हें प्रोत्साहित भी करेंगे।

सीएम धामी के फैसले के पीछे दो बड़े कारण

सीएम धामी के इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला यह कि वर्तमान में पुलिसकर्मी राज्य के औद्योगिक व अन्य संस्थानों में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जिसके कारण पुलिस विभाग में कर्मियों की कमी महसूस हो रही है। साथ ही अब सीएम धामी ने राजस्व पुलिस से कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेकर पुलिस को हस्तांतरित करने का बड़ा कदम भी लिया है, जिसके बाद पुलिस विभाग में कर्मियों की और अधिक आवश्यकता होगी।

 दूसरा कारण यह भी है कि कोविडकाल जैसे अनेक चुनौतीपूर्ण समय में होमगार्ड के जवान भी पुलिस के साथ डटकर मुश्किलों का सामना करते रहे हैं, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि जब भी श्रेय लेने की बात आती है तो पुलिस को ही सराहा जाता रहा है, होमगार्ड जवानों का योगदान सबके सामने नहीं आ पाता। यह भी बड़ा कारण है कि सीएम धामी होमगार्ड जवानों की मेहनत व समर्पण भाव को नजरंदाज नहीं होने देना चाहते।

बता दें कि सीएम धामी ने 2021 में मुख्यमंत्री बनने के बाद होमगार्ड जवानों के वेतन में 7 से 8 हजार रुपये की बड़ी वृध्दि की थी। इसके बाद हाल ही में उत्तराखंड होमगार्ड के जवानों का पर्वतारोही दल बनाने का फैसला लिया गया, जो माउंट एवरेस्ट समेत देश-दुनिया की ऊंचे पर्वतों को फतह करेगा।

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