नई दिल्ली : दिल्ली (Delhi) सहित आस पास के राज्यों में प्रदुषण (Pollution) को लेकर हर साल विवाद खड़ा होता है। कहा जाता है कि इन राज्यों के किसानों द्वारा पराली (Stubble) जलाई जाती है। तभी प्रदूषण फैलता है। लेकिन इस बार बहुत कम किसानों ने पराली जलाई है। पिछले वर्षों में इसी समय के दौरान 2500 से अधिक पराली जलाने की घटना हुई थी। जो इस बार मात्र 700 मामले ही आए हैं।
पंजाब के मंत्री केएस धारीवाल ने बताया कि पिछले वर्षों में इसी समय के दौरान 2500 से अधिक पराली जलाने की घटनाएं हुईं थी। इसकी तुलना में मेरे कार्यकाल में अब तक पराली जलाने की 700 घटनाएं दर्ज की गई हैं। किसानों से पराली न जलाने की अपील जारी है। हस्तक्षेप के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के ‘जत्थेदार’ से बात की गई है।
गौरतलब है कि हर साल पराली जलाने को लेकर विवाद खड़ा होता है। केंद्र सरकार छह राज्यों पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में फसल अवशेष जलाने के मामलों की सैटेलाइट से मॉनिटरिंग कर रही है।
रिकॉर्ड बता रहा है कि जिस दिन से बारिश शुरू हुई उसके बाद पराली जलाने के मामले कम हो गए हैं। प्रमुख धान उत्पादक पंजाब में 2020 के दौरान 15 सितंबर से 11 अक्टूबर तक 2957 जगहों पर पराली जलाने के मामले आये थे। लेकिन इस साल यानी 2022 में इसी अवधि में अब तक सिर्फ 700 केस ही आए हैं। यानी करीब एक चौथाई मामले ही रह गए हैं।