सपा कन्नौज से भी उम्मीदवार बदल सकती है, भतीजे तेज प्रताप की जगह खुद चुनाव लड़ सकते हैं अखिलेश यादव
कन्नौज : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं और तेज प्रताप यादव का टिकट कट सकता है. ऐसी संभावना इसलिए जताई जा रही है क्योंकि पार्टी की लोकल यूनिट ने उनसे अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को इस सीट से मैदान में उतारने के फैसले को बदलने की गुजारिश की है. इस संबंध में आखिरी और आधिकारिक फैसला समाजवादी पार्टी द्वारा लिया जाएगा.
पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कन्नौज से जुड़ी संभावनाओं पर बात करते हुए कहा कि कन्नौज की जनता जो कहेगी, वो मैं करूंगा. सूत्रों का कहना है कि कन्नौज में सपा कार्यकर्ता तेज प्रताप के नाम को स्वीकार करने को तैयार नहीं हो रहे हैं. अखिलेश यादव ने वादे के मुताबिक कन्नौज से तेज प्रताप के नाम का ऐलान कर दिया था, लेकिन अब माना जा रहा है कि अखिलेश ही कन्नौज से लड़ेंगे. अखिलेश आज इटावा और सैफई आएंगे. उसके बाद कन्नौज के नामांकन पर फैसला लेंगे.
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने लिस्ट जारी करते हुए कन्नौज और बलिया सीट से प्रत्याशियों का ऐलान किया था. अखिलेश ने कन्नौज से अपने परिवार के सदस्य और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को टिकट दिया, जबकि बलिया से सनातन पांडेय को मैदान में उतारा है. कन्नौज सीट को लेकर बहुत दिनों से समाजवादी पार्टी में असमंजस की स्थिति थी और कहा जा रहा था कि खुद एसपी मुखिया अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि तब यह बात साफ हो गई, जब अखिलेश ने अपने भतीजे को अपनी पुरानी सीट से मैदान में उतार दिया.
तेज प्रताप यादव के पिता रणवीर सिंह यादव, अखिलेश यादव के चचेरे भाई थे. उनका 36 वर्ष की उम्र में ही निधन हो गया था. वो राजनीति में सक्रिय थे और ब्लॉक प्रमुख भी रहे. उसके बाद उनकी पत्नी मृदुला यादव भी सैफई की ब्लॉक प्रमुख रहीं. तेज प्रताप की पत्नी राजलक्ष्मी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं.
वहीं अगर तेज प्रताप यादव की बात करें तो वह मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं. जब नेताजी मुलायम सिंह यादव ने 2014 के चुनावों में दो सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव लड़ा था और दोनों सीट से जीत गए थे. उसके बाद उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी, जिस पर हुए उपचुनाव में सपा ने तेज प्रताप को मैदान में उतार दिया था और वो पहली बार देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे थे. हालांकि 2019 के चुनाव में तेज प्रताप को टिकट नहीं दिया गया था और मैनपुरी से नेताजी ने चुनाव लड़ा था. जब मुलायम सिंह का निधन हो गया, उसके बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने जीत हासिल की थी.