सपा ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी, बुर्का हटवाकर मुस्लिम महिलाओं की चेकिंग न करने की मांग की
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होने जा रही है। वोटिंग से एक दिन पहले समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कई मांगें की हैं। सपा ने मांग की है कि वोटिंग के दौरान सुरक्षाकर्मी बुर्का हटवाकर मुस्लिम महिलाओं की चेकिंग ना करें। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सपा समर्थक मुस्लिम महिलाओं को चेकिंग के बहाने भयभीत किया।
मतदान केंद्र से बिना मताधिकार का प्रयोग किए उन लोगों को वापस जाना पड़ा। बड़ी संख्या में सपा समर्थक मुस्लिम महिलाएं वोट दिए बगैर वापस लौट गईं। इससे चुनाव प्रभावित हुआ और कई जगहों पर मतदान प्रतिशत में गिरावट हुई। यूपी उपचुनाव को लेकर सपा ने कई हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। सपा ने अपने मतदाताओं से अपील की है कि वे किसी तरह की दिक्कत आने पर इन नंबरों पर फोन करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं। गौरतलब है कि नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार 18 नवंबर की शाम छह बजे थम गया।
समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रमुख श्याम लाल पाल ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को पत्र लिखकर मांग की है कि कोई पुलिसकर्मी किसी भी मतदाता की पहचान-पत्र की जांच न करे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान मतदान केंद्रों पर तैनात पुलिस कर्मियों ने पद का दुरुपयोग किया और सपा समर्थकों, खासकर मुस्लिम महिला मतदाताओं को डराकर उनके बुर्के उतरवा दिए. इसके बाद मतदाताओं को मतदान केंद्रों से बिना मतदान किए लौटना पड़ा और इससे मतदान प्रतिशत प्रभावित हुआ।
श्याम लाल पाल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को लिखे पत्र में मांग की कि ‘रिटर्निंग ऑफिसर, रिटर्निंग ऑफिसर/जिला मजिस्ट्रेट, जनरल ऑब्जर्वर और पुलिस अधिकारियों को लिखित आदेश जारी किया जाए कि 20 नवंबर (मतदान की तारीख) को ‘कोई भी पुलिसकर्मी किसी भी मतदाता की मतदाता पहचान-पत्र की जांच नहीं करेगा.’ पत्र में कहा गया है कि मतदाता पहचान-पत्र की जांच करने का अधिकार मतदान अधिकारी के पास है।
श्याम लाल पाल ने यह भी दावा किया कि 9 विधानसभा उपचुनाव क्षेत्रों में सपा समर्थकों, खासकर मुस्लिम समुदायों की आबादी वाले क्षेत्रों में बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा मतदाता पर्चियां वितरित नहीं की गई हैं. बड़ी संख्या में मतदाता अपने बूथ नंबर और मतदाता क्रमांक से अनजान हैं, जिसका असर चुनाव पर पड़ रहा है. मतदाता पर्चियों का शत-प्रतिशत वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित न हों।