बजट में आधी आबादी, अन्नदाता का भी रखा खास ध्यान
दस्तक ब्यूरो, देहरादून
किसी भी राज्य में विकास केलिए उसकी आधी आबादी और किसान वर्ग का विकास बेहद जरूरी होता है। यही कारण है कि धामी सरकार के बजट में इन दोनों वर्गों का भी खास ख्याल रखा गया है। जिस प्रकार से केन्द्र सरकार ने जेंडर बजट व नारी शक्ति को तवज्जो दी थी, उसी तर्ज पर धामी सरकार ने भी महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए विशेष प्रावधान किए हैं। इसके अलावा अन्नदाता का भी खास ध्यान रखा गया है। समान नागरिक संहिता के माध्यम से महिला अधिकारों के संरक्षण की पहल के बाद धामी सरकार ने महिला समानता की दृष्टि से एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। महिला समानता का अहसास कराता वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट इसका उदाहरण है। जेंडर बजट में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 617 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इसने राज्य की 57.39 लाख महिलाओं को मुस्कुराने का अवसर दे दिया है। जेंडर बजट में प्रवधानित 14538.13 करोड़ की राशि को महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम, रोजगार क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में खर्च किया जाएगा। केन्द्र की भांति राज्य सरकार भी महिला सशक्तीकरण पर विशेष जोर दे रही है। इस कड़ी में जेंडर बजट महत्वपूर्ण है। यह महिलाओं को मुख्य धारा में लाने का प्रभावी तरीका है। इसमें महिलाओं की आवश्यकताओं की पहचान कर उसके अनुरूप योजनाएं तैयार कर अलग से बजट की व्यवस्था की जाती है।
जेंडर बजट के दृष्टिकोण से देखें तो राज्य सरकार इसको लेकर गंभीर है। इसमें इस बार भी वृद्धि की गई है। जेंडर बजट में प्रावधानित धनराशि का उपयोग दो तरह की योजनाओं में किया जाएगा। पहली वे योजनाएं होंगी, जो शत-प्रतिशत महिलाओं के लिए बनी हों। दूसरी वे योजनाएं इसमें शामिल की जाएंगी, जिनमें महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत होगी। इन योजनाओं के खर्च और निगरानी के लिए विशेष व्यवस्था का भी प्रावधान किया गया है। गरीब, युवा, अन्नदाता और नारीशक्ति (जीवाईएएन) पर केन्द्रित राज्य बजट में किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है। कृषि के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 240 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में कृषि का बजट (कृषि, उद्यान व पशुपालन) 2175 करोड़ था। इस बार 2415 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। बजट में राज्य में श्रीअन्न को प्रोत्साहन देने के साथ ही खेती, औद्यानिकी, पशुपालन, दुग्ध विकास समेत रेखीय विभागों की योजनाओं के दृष्टिगत कई प्रावधान किए गए हैं। इस पहल से राज्य के 8.81 लाख किसान लाभान्वित होंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी। बजट में मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के माध्यम से खेती की तस्वीर संवारने पर जोर दिया गया है तो बागवानी में सेब उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर है। प्राकृतिक खेती के लिए मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना लाई गई है। स्थानीय फसलों को प्रोत्साहित करने को भी बजट प्रावधान किया गया है। इससे पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को सबसे अधिक लाभ होगा, जो पारंपरिक फसलें उगाते आ रहे हैं। बजट में पशुधन व उसके लिए चारे की व्यवस्था, कृषि से इतर मत्स्य, पशुपालन आदि के जरिये आय बढ़ाने की चिंता भी की गई है।
बजट में महिलाओं को क्या मिला
- 274.81 करोड़ अनुपूरक पोषाहार कार्यक्रम के लिए
- 163.80 करोड़ आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय को
- 30 करोड़ मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के लिए
- 28.47 करोड़ मुख्यमंत्री बाल पोषण योजना के लिए
- 20.64 करोड़ मुख्यमंत्री वात्सलय योजना में
- 14.88 करोड़ मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना में
- 10 करोड़ मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना में
- 05 करोड़ गंगा, गाय महिला डेरी विकास योजना में
- 05 करोड़ महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना में
- 05 करोड़ महिला उद्यमियों के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना में
- 4.33 करोड़ वन स्टाप सेंटर योजना के लिए
- 03 करोड़ प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना में
- 02 करोड़ यौन व अन्य अपराधों से पीड़ित व उत्तरजीवी महिलाओं के लिए
- 1.79 करोड़ महिला किसान सशक्तीकरण योजना में
किसानों के लिए बजट में किए गए प्राविधान
- दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में 85 करोड़
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 104.25 करोड़
- ल्ल मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना में 35 करोड़
- एप्पल मिशन योजना के लिए 35 करोड़
- किसान पेंशन योजना में 46.10 करोड़
- दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना में 32 करोड़
- मिशन मिलेट योजना में सात करोड़
- स्थानीय फसल प्रोत्साहन योजना में 5.75 करोड़
- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना में 26.77 करोड़
- मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 12 करोड़