हिन्दू प्रतीकों पर हमला सपा की नई रणनीति

औरंगजेब जैसे आक्रांताओं का महिमा मंडन, वीर योद्धा राणा सांगा का अपमान, हिंदुओं के आस्था के केन्द्र महाकुंभ और गोशालाओं पर आपत्तिजनक बयान देकर समाजवादी पार्टी एक सोची समझाी रणनीति के तहत 20 बनाम 80 यानी अगड़े-पिछड़े वर्ग की खाई को और गहरा कर रही है। दरअसल समाजवादी पार्टी की निगाह 2027 के यूपी के विधानसभा चुनावों पर है। क्या सपा पीडीए यानी पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक के प्रयोग को दोहराना चाहती है? जिसका एक ही नारा था 80 हटाओ, बीजेपी हराओ। राणा सांगा के अपमान से जुड़े राजनीतिक पहलुओं पर ‘दस्तक टाइम्स’ के प्रधान संपादक रामकुमार सिंह की रिपोर्ट।
सवर्ण महापुरुषों की आलोचना व उनके प्रति अभद्रता और हिंदू प्रतीकों पर हमले समाजवादी पार्टी की नई रणनीति है। ऐसा करके समाजवादी पार्टी देश में मुस्लिम, दलित और पिछड़ी जातियों को गोलबंद करना चाहती है। यह फार्मूला मायावती ने नब्बे के दशक में आजमाया था। ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ जैसे उग्र नारे गढ़ कर मायावती ने उत्तर भारत में नई जातीय इंजीनियरिंग की शुरुआत की थी। औरंगजेब जैसे आक्रांताओं का महिमा मंडन, वीर योद्धा राणा सांगा का अपमान, हिंदुओं के आस्था के केन्द्र महाकुंभ और गोशालाओं पर आपत्तिजनक बयान देकर समाजवादी पार्टी एक सोची समझाी रणनीति के तहत 20 बनाम 80 यानी अगड़े-पिछड़े वर्ग की खाई को और गहरा कर रही है। दो साल पहले ‘80 हटाओ, बीजेपी हराओ’ का नारा देने वाले सपा प्रमुख अखिलेश को लगता है कि योगी के हिंदुत्व कार्ड की यही काट है जो 2027 के विधानसभा चुनाव में कारगर साबित हो सकती है।
हिंदू प्रतीकों पर हमले बहुत सुनियोजित ढंग से सामने आ रहे हैं। मुगल बादशाहों के महिमा मंडन की शुरूआत महाराष्ट्र में सपा नेता अबू आजमी ने की थी। हिंदुओं में औरंगजेब को सबसे अधिक निंदनीय मुगल शासक माना जाता है क्योंकि उसने गैर-मुसलमानों के प्रति जजिया कर, भेदभावपूर्ण, पूर्ण धार्मिक अनुष्ठान कर लागू किए थे। उसके शासन में बड़ी संख्या में हिंदू मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था। मंदिर तोड़े गए थे। इसके उलट सपा नेता अबू आजमी ने कहा था कि ‘मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता। उस दौर में सत्ता संघर्ष राजनीतिक थे, धार्मिक नहीं। औरंगजेब एक कू्रर शासक नहीं था और उसने कई मंदिरों का निर्माण भी कराया था।’ इस महिमा मंडन पर देश की राजनीति में भूचाल आना स्वभाविक है। कई कांग्रेस सांसद भी सपा नेता के बचाव में आ गए। यह बवाल अभी थमा नहीं था कि बीते महीने भरी राज्यसभा में सपा सांसद व दलित नेता रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को गद्दार कह दिया। बिना किसी प्रसंग के सुमन ने यह मुद्दा उठाया। मुस्लिम तुष्टीकरण के प्रेम में उन्होंने न केवल क्षत्रियों बल्कि सारे हिंदुस्तान के आदर्श माने जाने वाले राणा सांगा को सीधा निशाना बनाया। 26 मार्च को नाराज करणी सेना ने रामजीलाल सुमन के आगरा स्थित आवास पर तोड़ फोड़ की। जिस समय उनके घर हमला हुआ, सुमन दिल्ली में थे और वहां से कुछ किमी दूरी पर सीएम योगी का कार्यक्रम चल रहा था।
दलित बनाम ठाकुर का खेल
इसके बाद राजनीति गरमा गई। अखिलेश यादव सुमन के बचाव में आ गए। सपा ने यह मुद्दा दलित बनाम ठाकुर बना दिया। सुमन का बचाव करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि सांसद पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि वह दलित हैं। अखिलेश ने यह कहकर इसे संतुलित किया कि सपा ने ‘राणा सांगा की बहादुरी और देशभक्ति’ पर सवाल नहीं उठाया है। अगले दिन अखिलेश ने कहा, ‘सब लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं। भाजपा नेताओं से पूछिए कि वे कौन से पन्ने पलट रहे हैं। वे किस पर बहस कर रहे हैं? वे औरंगजेब के बारे में बात करना चाहते हैं। अगर रामजी लाल सुमन जी ने इतिहास के किसी पन्ने का हवाला दिया है, जिसमें कुछ तथ्य हैं, तो इसमें क्या दिक्कत है? हमने 200 साल पहले इतिहास नहीं लिखा था।” अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट पर इस हमले को पीडीए से जोड़ दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा-‘आगरा में मुख्यमंत्री के उपस्थित रहते हुए भी, पीडीए के एक सांसद के घर पर तोड़फोड़ की हिंसक वारदात जब रोकी नहीं जा सकती, तो फिर जीरो टॉलरेंस तो जीरो होना ही है।’ सारा खेल इस पीडीए का है जिसके अक्षर अंग्रेजी के हैं और उच्चरण हिंदी का। पीडीए यानी ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों’ का गठजोड़।

इस पीडीए को लेकर सपा सांसद रामगोपाल यादव तो सुमन के घर पहुंच गए। उन्होंने साफ कहा कि ‘रामजीलाल सुमन दलित न होते, अगर उन्हीं की बिरादरी के होते तो हमला करते ये लोग? ये पूरे पीडीए पर और पूरे दलित समाज के ऊपर हमला है।’ तीन दिन की खामोशी के बाद शीर्ष नेतृत्व को अपने साथ खड़ा देख पहले माफी मांग चुके रामजीलाल सुमन के तेवर एकदम से बदल गए। सुमन ने कहा- ‘अब माफी मांगने का सवाल ही नहीं पैदा होता।’ साफ है समाजवादी पार्टी राणा सांगा विमर्श को दलित विमर्श में बदलने की कोशिश जुट गई। जाहिर है सपा सांसद रामजीलाल सुमन के घर पर करणी सेना के लोगों द्वारा किए गए उपद्रव को राजूपत बनाम दलित बनाने की कोशिश हो रही है। इसी बीच अखिलेश ने गोशालाओं पर आपत्तिजनक बयान दे दिया। कन्नौज में सपा अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘बीजेपी को दुर्गंध पसंद है इसलिए वह गोशालाएं बना रही है जबकि समाजवादी पार्टी को सुगंध पसंद है, इसलिए इत्र पार्क बना रहे थे।’ इससे पहले समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी के ‘मृत्यु कुंभ’ वाले बयान का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने कहा- ‘ममता ने जो कहा वो ठीक ही कहा है, उनके प्रदेश के लोगों की भी जान गई है।’
2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष ने बीजेपी को संविधान विरोधी-आरक्षण विरोधी साबित करके नुकसान पहुंचाया था। तब पीडीए का नारा देकर लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की सीटें बढ़ गई थी। तब यह कहा जा रहा था कि दलित वोटों का ध्रुवीकरण समाजवादी पार्टी की तरफ हुआ है। यूपी में साल दर साल बसपा का वोट बैंक अन्य दलों में बंटता जा रहा है। बसपा का वोट शेयर पिछले लोकसभा चुनाव में घट कर 9.4 फ़ीसदी रह गया। सपा की नजर इसी वोट बैंक पर है। यादव और मुसलमान सपा के पक्के वोट बैंक हैं। कई दलित और अति पिछड़ा वर्ग के वोटर भी सपा की ओर शिफ्ट हो जाते हैं तो ऐसे में अगड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाई सपा के लिए कारगर साबित हो सकती है।
ठाकुर राजनीति में भूचाल
उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय वोट बैंक करीब 6 से 7 फीसदी का माना जाता है। संख्या के लिहाज से भले ही ये प्रतिशत ज्यादा नहीं दिखता, लेकिन रसूख के मामले में क्षत्रिय हमेशा ही सत्ता के केंद्र में रहे हैं। वैसे भी यूपी में ठाकुर वोट बैंक योगी के पाले में चला गया है। एक जमाना था जब ठाकुरों में सपा की पकड़ थी। खुद अखिलेश की कैबिनेट में करीब एक दर्जन ठाकुर मंत्री थे। इनमें रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से लेकर विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह, अरविंद सिंह गोप, राधे श्याम सिंह, राजा आनंद सिंह, योगेश प्रताप सिंह, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह शामिल थे। लेकिन अब पुराने हालत नहीं रहे। योगी के आने के बाद ठाकुर सपा का कितना साथ देंगे ये अखिलेश खूब समझते हैं। इसलिए रामजीलाल सुमन ने बेखौफ होकर ठाकुरों के लगभग अराध्य माने जाने वाले राणा सांगा पर निशाना साधा है। इस विवाद पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत संयत होकर बयान दिया वे बोले-‘ये लोग राणा सांगा, महाराणा प्रताप, शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह के बारे में नहीं जानते। ये लोग औरंगजेब और बाबर की पूजा करने वाले और जिन्ना को अपना आदर्श मानने वाले लोग हैं। इनसे कोई उम्मीद नहीं की जा सकती।’
यूपी के बड़े क्षत्रिय नेता राजा भैया कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे। लेकिन समय बीतने के साथ वह भाजपा के करीब आ गए। बीच में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके बीच तीखी बयानबाजी का दौर भी चला। लेकिन 2024 में ऐसा माहौल बदला कि राजा भैया अखिलेश के खेमे में खड़े नजर आए। अब सुमन के बयान से नाराज ठाकुर नेताओं की भी तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। इस घटना के बाद राजा भैया ने ‘एक्स’ पर लंबी पोस्ट में लिखा, ‘समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा के विषय में जो अभद्र टिप्पणी की है, वो सत्य से परे तो है ही, हर देशभक्त, हर राष्ट्रवादी के लिए बहुत ही कष्टप्रद है।’ तुष्टिकरण के चलते हमारे महानायकों को खलनायक और गद्दार कहा जा रहा है। देश का दुर्भाग्य है कि औरंगज़ेब जैसे आततायी और बर्बर शासक का महिमा मंडन करने के लिए कुछ लोग अपने ही महानायकों को छोटा दिखाने की होड़ में लगे हैं। सत्य के आईने में इतिहास के पुनर्लेखन का युग आ चुका है। यूपी के एक अन्य क्षत्रिय नेता बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि ‘ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी के नेताओं के शरीर में दैत्यगुरू शुक्राचार्य की आत्मा बसी हुई है। सुमन जी को अपना बयान वापस लेना चाहिए वरना इसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ेगा।’