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एसएससी भर्ती घोटाला: अदालत ने CBI जांच का एकल पीठ का आदेश रखा बरकरार

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) की एक खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को बुधवार को बरकरार रखा, जिसमें स्कूल सेवा आयोग (SSC) की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (West Bengal Board of Secondary Education) द्वारा की गई कथित अवैध नियुक्तियों की सीबीआई जांच (CBI) करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति ए. के. मुखर्जी की खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के फैसले में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। खंडपीठ के आदेश के तुरंत बाद, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी को एसएससी नियुक्ति घोटाले के सिलसिले में आज शाम छह बजे से पहले यहां स्थित केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया।

चटर्जी के वकील ने इसके तुरंत बाद न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रबींद्रनाथ सामंत की अन्य खंडपीठ के समक्ष तत्काल मौखिक याचिका दायर की, जिसमें न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस पीठ ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि अपील अदालत की रजिस्ट्री में दायर नहीं की गई है, और इसलिए उच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार सुनवाई नहीं की जा सकती। बाद में, शाम को मंत्री पूछताछ के लिए सीबीआई कार्यालय पहुंचे।

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि न्याय के हित में चटर्जी मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। उन्होंने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की लंबित भर्तियों की निगरानी के लिए नवंबर, 2019 में पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा गठित एक समिति के सभी पांच सदस्यों को सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया। एकल पीठ ने अपने द्वारा पूर्व में पारित आदेशों के अनुसार सीबीआई को कथित अनियमितताओं की जांच जारी रखने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति तालुकदार और न्यायमूर्ति मुखर्जी की खंडपीठ ने स्कूल सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित शिक्षक एवं गैर शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में ‘‘अनियमितताओं” को ‘‘सार्वजनिक घोटाला” करार दिया और कहा कि मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा दिया गया सीबीआई जांच का आदेश गलत नहीं था। एकल पीठ ने इससे पहले भी मंत्री को 12 अप्रैल को निजाम पैलेस स्थित कार्यालय में सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्हें आदेश पर खंडपीठ से स्थगन मिल गया था।

खंडपीठ ने विभिन्न अपील पर 111 पन्नों के अपने फैसले में अदालत द्वारा गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरके बाग समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया, जिनमें घोटाले से जुड़े तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आह्वान किया गया है। बाग समिति ने ग्रुप-डी और ग्रुप-सी पदों पर नियुक्तियों में अनियमितता पाई थी। इसने कहा था कि ग्रुप-सी में 381 और ग्रुप-डी में 609 नियुक्तियां अवैध रूप से की गई थीं। इसने राज्य स्कूल सेवा आयोग के चार पूर्व शीर्ष अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की थी।

इस बीच, राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि विपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी ने उनसे आज दिन में मुलाकात की और मामले में गहन जांच की मांग की। धनखड़ ने कहा कि अधिकारी ने उन्हें सूचित किया था कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी की गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता ने मामले में गहन जांच की मांग की है। राज्यपाल ने ट्वीट किया, “उन्होंने (अधिकारी) लोकायुक्त, सूचना आयुक्तों और एसएचआरसी अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति की प्रक्रिया में हस्तक्षेप की मांग की क्योंकि उनके साथ कोई जानकारी साझा नहीं की जा रही है।”

धनखड़ से मिलने के बाद अधिकारी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और उन्हें “एसएससी भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड” कहा। नंदीग्राम से भाजपा विधायक अधिकारी ने यह भी दावा किया कि राज्य में विधानसभा चुनाव 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही होंगे न कि 2026 में। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जिस तरह से चीजें सामने आ रही हैं, विधानसभा और लोकसभा चुनाव 2024 में साथ-साथ होंगे।”

अधिकारी ने कहा कि देश में यह अभूतपूर्व है कि राज्य के दो मंत्रियों को अदालत ने एक ही दिन केंद्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने को कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि दो मंत्रियों चटर्जी और परेश अधिकारी ने एसएससी के लाखों योग्य उम्मीदवारों को नौकरी से वंचित कर दिया है। उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, “कानून अपना काम करेगा, और हमें न्यायपालिका पर विश्वास है। लेकिन सीबीआई से मेरा सवाल यह है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में आरोपी शुभेन्दु अधिकारी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है?”

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