जयपुर: राजस्थान में पहले कोरोना के लगातार बढ़ते दायरे और फिर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के पार्टी से विद्रोह के चलते न सिर्फ सियासी नियुक्तियां उलझ गई हैं, बल्कि गहलोत सरकार के कैबिनेट विस्तार की अटकलों को भी विराम लग गया है।
राजस्थान में इस समय तीस फीसदी मंत्रियों के पद खाली है। जिन मंत्रियों को कैबिनेट से हटाया जा चुका हैं, उनके महकमों का काम अभी दूसरे मंत्रियों को सौंपा गया है। पायलट की गुजारिश पर बनाई गई एआईसीसी के तीन पदाधिकारियों की कमेटी भी अब तक कोई रिपोर्ट नहीं बना पाई हैं। ऐसे में मंत्रिमण्डल विस्तार का काम अब 2021 में ही हो सकेगा।
गहलोत सरकार के मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन से कांग्रेस के विधायकों की संख्या अब घटकर 105 रह गई है, वहीं राजस्थान विधानसभा में सदस्यों की संख्या 198 हो गई है। सीएम अशोक गहलोत के समक्ष मुश्किल यह भी है कि उनके पास महकमे चलाने के लिए पर्याप्त मंत्री नहीं हैं।
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सियासी गणित के अनुपात में राजस्थान में मुख्यमंत्री समेत 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। गहलोत मंत्रिमंडल में 25 मंत्री थे। राजस्थान में पिछले दिनों पैदा हुए सियासी भूचाल के बाद 3 मंत्रियों सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को उनके पदों से हटा दिया गया। अब मंत्री भंवरलाल मेघवाल का निधन हो गया है।
ऐसे में राज्य में अब मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्री हैं। यानी करीब 30 फीसदी मंत्रियों की जगह खाली है। जिन मंत्रियों को हटाया गया उनके पोर्टफोलियो भी अन्य मंत्रियों को दे दिए गए। इससे उन मंत्रियों पर भी अतिरिक्त भार पड़ गया है।
जुलाई में हुई राजनीतिक उठापटक के बाद कांग्रेस का स्वरूप काफी हद तक बदल गया था। उम्मीद की जा रही थी कि कभी भी कैबिनेट फेरबदल या विस्तार हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
पहले सचिन पायलट की री-एंट्री हुई और उनकी समस्याओं को सुनने के लिए कांग्रेस के 3 वरिष्ठ नेताओं अजय माकन, केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल की कमेटी बनाई गई। इस कमेटी की रिपोर्ट अब तक नहीं आ सकी है।
अब हालत यह है कि अहमद पटेल बीमार हैं। प्रदेश प्रभारी माकन भी दो बार जयपुर आकर जा चुके हैं। अभी पांच संभागों का फीडबैक कार्यक्रम बाकी है। ऐसे में यह स्थिति भी नहीं बन रही है कि कमेटी रिपोर्ट दे सके।
जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक कैबिनेट फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो सकती।
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