पटना : बिहार में सियासी खेला शुरू हो चुका है, पिछले कुछ दिनों प्रदेश की सियासी हवा बदली-बदली सी नज़र आ रही है। एक तरफ़ जहां एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है,सियासी गलियारों में तो एनडीए गठबंधन टूटने की कयासबाज़ी भी शुरू हो गई है। वहीं बदले हुए सियासी समीकरण में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। तेजस्वी यादव ने असदउद्दीन ओवौसी को बड़ा झटका देते हुए उनकी पार्टी के 5 में से 4 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करवा लिया है। इस तरह से अब राष्ट्रीय जनता दल बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी दूसरे पायदान पर पहुंच चुकी है।
बिहार के सियासी गलियारों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि एनडीए गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है जल्द ही गठबंधन टूट सकता है। वहीं बिहार में मौक़े पर चौका मारने के लिए तेजस्वी यादव ने मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है। अब अगर आंकड़े ज़रा से भी पलटे तो बिहार में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी लेकिन प्रदेश में सरकार नहीं बना पाई थी। जदयू-भाजपा के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की सरकार बनी जिसमें बिहार की दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने एनडीए गठबंधन का साथ दिया था। सरकार नहीं बना पाने के बावजूद आरजेडी बिहार में सत्ता पर क़ाबिज़ होने का दम भरते हुए अकसर नज़र आती है। अब तेजस्वी यादव के खेला से विपक्ष में नई जान आई है।
NDA गठबंधन के पास कितनी सीटें ?
बिहार में विधानसभा सीटों के आंकड़ों की बात की जाए तो कुल 243 विधानसभा सीटें हैं। कुछ महीने पहले वीआईपी के विधायक भाजपा में शामिल हुए थे जिसके बाद से एनडीए गठबंधन मजबूत हो गई थी। उस वक़्त तो ऐसा समीकरण बन गया था कि जरा सी भी चूक होती तो प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो जाता लेकिन भाजपा ने बिगड़ते समीकरण को बना लिया था। लेकिन एक बार फिर बिहार में सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। मौजूदा आंकड़े की बात की जाए तो एनडीए गठबंधन के पास कुल 126 विधायक हैं। जिनमें भाजपा के पास 77 विधायक, जदयू के पास 45, हम के पास 4 विधायक है।