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आजादी के पहले के कानूनों को खत्म करने पर राज्य विचार करें, वन नेशन, वन पुलिस यूनिफार्म पर भी चर्चा जरूरी : PM मोदी

नई दिल्ली : हरियाणा के सूरजकुंड में 2 दिवसीय चिंतन शिविर के दूसरे दिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सत्र को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के पहले बने कानूनों में राज्यों को भी अब समय के साथ बदलाव लाने के बारे में सोचना चाहिए। वहीं उन्होंने वन नेशन, वन पुलिस यूनिफॉर्म पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड की तर्ज पर पुलिस की वर्दी को लेकर भी ऐसा कुछ किया जा सकता है। सभी राज्य इसपर विचार करें। इससे क्वालिटी प्रोडक्ट मिलेगा, कहीं भी जाने पर सभी को पता चलेगा की ये पुलिस वाला है। उन्होंने कहा कि वक्त भले ही लगे मगर वन नेशन, वन पुलिस यूनिफार्म के विचार पर चर्चा की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्री और गृह मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि कानून को लेकर भी पिछले सालों में कई रिफार्म हुए हैं, जिन्होंने देश में शांति व्यवस्था बनाने में मदद की है। वहीं व्यापार, कारोबार से जुड़े अनेक प्रावधानों को आपराधिक श्रेणी से बाहर किया गया है। सरकार ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म करके भविष्य का बोझ भी कम किया है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले के बने कानूनों में राज्यों को भी अब समय के साथ बदलाव लाने के बारे में सोचना चाहिए। यूएपीए जैसे कानून ने आतंकवाद के खिलाफ व्यवस्थाओं को ताकत दी है।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाले 25 साल देश में अमृत पीढ़ी के निर्माण के हैं। ये अमृत पीढ़ी पंच प्राणों के संकल्प से निर्मित होगी। इनमें विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता और नागरिक कर्तव्य शामिल हैं। ये पंच प्राण सबके प्रयास से ही पूरा किए जा सकते है। उन्होंने कहा ये हमारी गवर्नेस की प्रेरणा होनी चाहिए।

राज्यों में अनुकूल वातावरण बनाने के लिए कानून व्यवस्था से जुड़े लोगों की निर्णय और नीतियां बहुत महत्वपूर्ण है। कानून व्यवस्था के पूरे तंत्र का विश्वसनीय होना जरूरी है। जैसे प्राकृतिक आपदा के समय एनडीआरएफ की छवि बनी है। जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंचती है तो लोगों को लगता है सरकार आ गई। कोरोना में भी पुलिसकर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर काम किया। कर्तव्य में कमी नहीं है बस जनता के बीच परसेप्शन बनाने की जरूरत है।

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