दस्तक-विशेष

कहानी-बादल

लेखक-जंग हिंदुस्तानी

समुद्र के दोनों बच्चे जवान हो चुके थे । उसकी पत्नी लहर और स्वयं समुद्र को इस बात की बहुत चिंता हो रही थी कि उसके बच्चे उसी के आसपास घूम फिर करके अपना समय काट रहे थे। एक बच्चे का नाम श्वेत बादल था और दूसरे का नाम श्याम बादल। श्वेत बादल एकदम गोरा चिट्टा था लेकिन अहंकारी और आलसी था जबकि उसका छोटा भाई श्याम बादल सांवले रंग का था लेकिन बहुत ही मेहनती और उदार हृदय का था।

एक दिन समुद्र और उसकी पत्नी लहर ने दोनों बेटों को बुलाया और कहा” बेटे ,अब तुम दोनों जवान हो चुके हो।तुम्हें अपने राजपाट को संभालना चाहिए । तुम्हें अपनी प्रजा का ख्याल रखना चाहिए। मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में बसे हुए इलाकों की नदियों के माध्यम से हमें जो जल के रूप में टैक्स मिलता है हमें उसे संपत्ति को वापस ले जाकर उन्हें पर खर्च करना होता है। तुम्हें प्रजा के बीच में जाना चाहिए ।”

इस पर श्याम बादल ने कहा- “पिताजी मैं तो जाना चाहता हूं लेकिन बड़े भाई जब आगे नहीं बढ़ते हैं तो मैं अकेला कैसे जा सकता हूं? मुझे यह भी नहीं मालूम है कि मेरा राजपाट कहां तक है?” समुद्र ने कहा ” यहां से घर से निकलने के बाद जहां तक तुम्हारी निगाह जा सकती है वहां तक तुम्हारा राज्य है और पेड़ पौधे फसल जीव जंतु और इंसान जो भी तुम्हारी प्रजा हैं तुम्हें उन पर अपनी जल संपत्ति लूट कर उन्हें सुखी करना चाहिए।”

माता-पिता की बात को मानकर दोनों भाई प्रयाप्त जल संपति के साथ आकाश मार्ग से हवा का सहारा लेते हुए हिमालय की ओर निकल पड़े। रास्ते में छोटे-बड़े पर्वत मिले। श्याम बादल ने बड़े भाई से कहा भैयाजी, नीचे की ओर देखिए, फसलें सूख रही हैं। पेड़ सूख रहे हैं। नदियों में पानी घट चुका है, इन्हें तुरंत पानी की आवश्यकता है।हमें अपनी जल संपति को इन क्षेत्रों में बांटते हुए चलना चाहिए लेकिन बड़े भाई श्वेत बादल ने डांटते हुए कहा कि अपनी संपत्ति को बचा कर रखना ठीक रहता है। आगे जरूरत के हिसाब से काम आएगा। श्याम बादल को बड़े भाई का यह रवैया ठीक नहीं लगा।

पठार और मैदानी इलाका को पार कर जब हिमालय की ओर बढ़े तो तो आगे बढ़कर पहाड़ों के एक बड़े समूह ने उनका रास्ता रोक लिया। काफी विवाद हुआ और अंत में दोनों भाइयों की बहुत बड़ी जल संपति को उन्होंने छीन लिया । श्वेत बादल तो लुट पिट कर खाली हाथ हो गया लेकिन श्याम बादल ने चतुराई से अपने पास कुछ संपत्ति बचा ली।इसके बाद वे आगे उत्तर की ओर नहीं बढ़े और वहीं से वापस हो लिए। रास्ते भर दोनों भाई बातचीत करते रहे कि हम मैदानी क्षेत्र के लोगों को अपनी संपत्ति बांट दिए होते तो अच्छा था। श्याम बादल ने कहा- भैयाजी,जब हम आकाश मार्ग से गुजर रहे थे तो नीचे लोग कितनी आशा भरी निगाहों से हमारी ओर देख रहे थे।

श्वेत बादल ने कहा- “वह हमारी ओर आशा भरी निगाहों से नहीं देख रहे थे बल्कि वह हमारी खूबसूरती देख रहे थे। अगर विश्वास ना हो तो इधर से जब हम वापस होंगे तब देखना कि लोग हमें देखकर कितना खुश होंगे, यह हमारी सुंदरता का परिणाम है।” श्याम बादल चुप हो गया क्योंकि बड़े भाई से उलझना ठीक नहीं था। उसे लगा कि इस समय हमारे बड़े भाई अपने खूबसूरती के अहंकार में डूबे हुए हैं। दोनों भाई निराशा भरे मन से बातचीत करते हुए जब मैदानी क्षेत्र में पहुंचे तो इस बार श्वेत बादल को देखकर किसी ने भी खुशी जाहिर नहीं की। श्वेत बादल आगे आगे तेजी से समुद्र की ओर बढ़ रहा था लेकिन जमीन पर जनता में से कोई भी उसकी ओर ध्यान नहीं दे रहा था जबकि उसने देखा कि उसका छोटा भाई श्याम बादल जो पीछे पीछे आ रहा है। उसको देखकर के लोग ताली बजा रहे हैं और खुश हो रहे हैं। श्याम बादल भी अपनी बची खुची जल संपति उन लोगों पर लुटा रहा है। अब श्वेत बादल के दिमाग में बहुत उलझन थी कि ऐसा क्यों हो रहा है? उसने हवाओं से बातें करते हुए पूछा “यह क्या हो रहा है लोग मेरी खूबसूरती पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं और उसे काले कलूटे पर इतना मोहित क्यों हो रहे हैं?”

हवाओं ने कहा “यह वह संसार है जहां सिर्फ व्यक्ति के कर्म की पूजा होती है। खूबसूरत चेहरों से लोगों के जीवन नहीं चला करते । श्याम बादल ने जो अपनी जल संपत्ति सूखे से पीड़ित जनता पर लुटा करके किया है वह सराहनीय है।” अब श्वेत बादल को समझ में आ रहा था इसलिए श्याम बादल के पीछे पीछे चेहरा छुपाते हुए समुद्र की ओर बढ़ रहा था।

(कहानी काल्पनिक है)

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