अन्तर्राष्ट्रीय

भारत और फ्रांस के सामरिक संबंधों की है ख़ास अहमियत

नई दिल्ली ( विवेक ओझा) : हाल के समय में इंडिया फ्रांस स्ट्रेटेजिक डायलाग का आयोजन हुआ था जिसमें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दोनों देशों की स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप को नई धार देने की बात की थी। फ्रांस ने भी एक बेहद अहम पार्टनर होने का फर्ज निभाते हुए भारत को परमाणु पनडुब्बियों में मामले में हर सहयोग देने की बात की है। फ्रांस ने कहा है कि उसे खुशी होगी अगर भारत को डिफेंस सेक्टर उसके सहयोग से और मजबूत होता है। फ्रांस ने भारत को जेट इंजन और अंडरवाटर ड्रोन्स देने का प्रस्ताव किया है। यह इस बार को दर्शाता है कि दोनों देश कितने मजबूत डिफेंस पार्टनर है। अब यहां एक सवाल ये उठता है कि भारत फ्रांस संबंधों के मजबूत होने का आधार क्या है। वो कौन से कारक हैं जो दोनों देशों को बिना किसी शर्त एक दूसरे के सहयोग के लिए प्रेरित करते हैं। फ्रांस के साथ भारत के भू सामरिक , भू आर्थिक और भू राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं । एक महाशक्ति के रूप में फ्रांस भारत को विविध क्षेत्रों में लाभ पहुंचा सकता है । भारत के लिए फ्रांस निम्नलिखित कारणों से जरूरी है —

फ्रांस यूरोपीय संघ का सदस्य है और यूरोप के बाजारों में भारत के हितों का सच्चा समर्थक भी रहा है । भारत और यूरोपीय संघ के मध्य लंबे समय से लंबित पड़े हुए मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्र से शीघ्र अंतिम रूप देने की वकालत फ्रांस कई मंचों पर खुल के करता रहा है । फ्रांस ओईसीडी और जी 20 का महत्वपूर्ण सदस्य है और इन मंचों पर भारत के आर्थिक हितों का सच्चा समर्थक रहा है । – फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स आतंक के वित्त पोषण को रोकने के लिए एक वैश्विक मंच है । पाकिस्तान समेत अन्य देशों के आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने की दृष्टि से फ्रांस के तत्वावधान में इस संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका को सुनिश्चित किया जा सकता है।

फ्रांस हिन्द महासागर अथवा हिन्द प्रशांत और साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दृष्टि से भी भारत के लिए आवश्यक है । हिन्द महासागर के जिबूती , रीयूनियन द्वीप , अबू धाबी जैसे स्थलों पर फ्रांस के नौसैनिक अड्डे हैं । समुद्री डकैती और चीन के हिन्द महासागर के नए क्षेत्रों में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के प्रयास को नियंत्रित करने के लिए भारत फ्रांस गठजोड़ आवश्यक है। चीन ने वर्ष 2017 में ही अफ्रीकी देश जिबूती में अपना नौसैनिक अड्डा खोला है । उल्लेखनीय है कि इस बात को ध्यान में रखकर भारत और फ्रांस ने मई , 2019 में जिबूती में ही वरुण सैन्याभ्यास को संपन्न किया था।

भारत और फ्रांस ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय के तहत पेरिस समझौते के दौरान इंटरनेशनल सोलर अलायंस के निर्माण की घोषणा की जिसमें कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित ऐसे देश जिन्हें वर्ष भर सूर्य का प्रकाश मिलता है , ऐसे 121 देशों को मिलाकर ऐसा संगठन बनाया गया है ।

भारत और फ्रांस ने सामूहिक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर रखी है । फ्रांस भारत के 1996 के अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय अंगीकृत करने संबंधी प्रस्ताव का ठोस समर्थक है। भारत पर पुलवामा आतंकी हमलों के बाद फ्रांस ने भारत को हर संभव मदद देने की बात कही है । भारत और फ्रांस मिलकर जैव आतंकवाद से निपटने के एक संयुक्त अभ्यास भी संपन्न कर चुके है। फ्रांस ने पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद को अपने राष्ट्रीय कानून में वैश्विक आतंकवादी घोषित कर रखा है।

भारत में अवसंरचनात्मक विकास में फ्रांस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । लोकतंत्र , मानवाधिकार और विधि के शासन के प्रति सम्मान के फ्रांसीसी दृष्टिकोण से भारत फ्रांस के संबंधों को मजबूती दी है । फ्रांस ने भारत में रेलवे के आधुनिकीकरण और औद्योगिक गलियारों के विकास में सहयोग देने का प्रस्ताव किया है ।

भारत और फ्रांस दोनों देशों ने अपने हिन्द प्रशांत रणनीति के तहत पश्चिमी हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी सामरिक साझेदारी को बढ़ाने का निर्णय किया है। भारत फ्रांस के साथ मिलकर इस क्षेत्र में बंदरगाह विकास , ब्लू इकोनॉमी के विकास , और व्यापार , पर्यटन , अंतर्संपर्क को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करना चाहता है ।- दोनों देश पश्चिमी हिन्द महासागर में किसी तीसरे देश की परियोजनाओं से सम्बद्ध होकर कार्य करने की रणनीति निर्मित कर चुके हैं । भारत फ्रांस और वनीला द्वीपों जिसमें कोमोरोस , मेडागास्कर, मॉरीशस और सेशेल्स शामिल हैं , की फ्रांस के नियंत्रण वाले रीयूनियन द्वीप में बैठक हुई जिसमें आर्थिक और विकास साझेदारी को खोजने का प्रयास किया गया है। वनीला द्वीप के निकट मोजांबिक चैनल में गैस के भंडारों की प्राप्ति पर भी भारत की नजर है ।

वर्तमान समय में भारत और फ्रांस के मध्य प्रतिरक्षा साझेदारी का विस्तार पश्चिमी हिन्द महासागर क्षेत्र तक किए जाने का निर्णय हुआ है। भारत अपने इंडो पैसिफिक आउटरीच विजन के आधार पर हिन्द महासागर की सुरक्षा के लिए कोमोरोस और मेडागास्कर जैसे देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती दे रहा है । मार्च , 2018 में भारत और फ्रांस ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत फ्रांस सहयोग के लिए संयुक्त सामरिक विजन को लॉन्च किया था। दोनों देश हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नौगमन की स्वतंत्रता, समुद्री व्यापारिक मार्गों की स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए मिलकर कार्य करने की घोषणा कर चुके हैं । दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए अपनी सामरिक साझेदारी को अधिक समावेशी बनाने का निर्णय किया है। – इनके अतिरिक्त भारत और फ्रांस ने साइबर सुरक्षा , बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग , लघु और मध्यम उपक्रम विकास , कौशल और नवाचार विकास , मानव संसाधन प्रबंधन , संयुक्त राष्ट्र संघ सुधार , विश्व व्यापार संगठन में सुधार , आईएमएफ में अपेक्षित सुधारों हेतु सामूहिक प्रयासों को गति देने की बात की है । काला धन , मनी लॉन्ड्रिंग और ऐसे अन्य अपराधों से निपटने के लिए दोनों देशों ने अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

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