अराजक यातायात, नियमों का उल्लंघन करने वालों को मिले कठोर दंड, तभी लगेगी लगाम
दिल्ली-मेरठ : एक आंकड़े के अनुसार अपने देश में प्रति वर्ष डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है लेकिन इसके बाद भी मार्ग दुघर्टनाओं को रोकने के लिए वैसे जतन नहीं किए जा रहे जैसे अनिवार्य हो चुके हैं। अपने देश में यातायात पुलिस की भारी कमी है लेकिन उसे दूर करने का काम प्राथमिकता से बाहर है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर हुए एक भीषण हादसे में कार सवार छह लोगों की मौत ने फिर यह बताया कि अपने देश में जैसे-जैसे अच्छी सड़कें बन रही हैं, वैसे-वैसे ही दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं और उनमें जान गंवाने वालों की संख्या भी। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर हादसा इसलिए हुआ, क्योंकि एक कार की भिड़ंत गलत दिशा से आ रही बस से हो गई। यह अंधेरगर्दी ही है कि यह बस करीब आठ किमी तक गलत दिशा में चलती रही, लेकिन किसी ने उसे रोका-टोका नहीं। आखिर कोई यह देखने वाला क्यों नहीं था कि बस चालक ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कर अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल रहा है?
जैसा दर्दनाक हादसा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर हुआ, वैसे देश भर में होते ही रहते हैं। एक्सप्रेसवे, हाईवे आदि पर होने वाले हादसों में न जाने कितने लोग मरते और अपंग होते हैं, लेकिन इसके ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं कि उनमें ट्रैफिक नियमों का पालन हो। यह तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए कि एक्सप्रेसवे या हाईवे पर गलत दिशा में वाहन चलें, लेकिन ऐसा खूब होता है। इतना ही नहीं, तेज गति के लिए उपयुक्त इन मार्गों पर हर किस्म के वाहन गलत तरीके से चलते हैं। एक्सप्रेसवे पर दोपहिया वाहन भी दिख जाते हैं और कभी-कभी तो तीन सवारी के साथ। ट्रैफिक नियमों का ऐसा खुला उल्लंघन ही जानलेवा दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
एक आंकड़े के अनुसार अपने देश में प्रति वर्ष डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है, लेकिन इसके बाद भी मार्ग दुघर्टनाओं को रोकने के लिए वैसे जतन नहीं किए जा रहे, जैसे अनिवार्य हो चुके हैं। अपने देश में यातायात पुलिस की भारी कमी है, लेकिन उसे दूर करने का काम प्राथमिकता से बाहर है। जहां कहीं एक्सप्रेसवे, हाईवे आदि पर यातायात पुलिसकर्मी होते भी हैं, वे खानापूरी करते हैं। वे यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों का चालान कर कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।
आमतौर पर चालान का शिकार वाहन चालक इसलिए बेपरवाह बना रहता है, क्योंकि वह मामूली जुर्माना देकर छूट जाता है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर जो बस कार सवार लोगों के लिए काल बनी, उसका कम से कम 15 बार चालान हो चुका था। इसके बाद भी उसके चालक की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। यह समझा जाना चाहिए कि इस तरह के दिखावे के चालान से अराजक यातायात और उसके चलते होने वाले जानलेवा हादसों पर लगाम नहीं लगने वाली। लगाम तब लगेगी जब यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को कठोर दंड का भागीदार बनाया जाएगा। इसी के साथ लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने की भी सख्त आवश्यकता है, क्योंकि अभी तो स्थिति यह है कि लोग यह जानते हुए भी मनमाने तरीके से वाहन चलाते हैं कि वे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो सकते हैं।