रायपुर : अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कुछ दिनों पहले महासमुंद जिले में कुछ परिवारों के सामाजिक बहिष्कार होने की लिखित जानकारी प्राप्त हुई थी है। बहिष्कार होने से भारत लाल, नीरज, डायमंड, अमरीका, त्रिवेणी बाई के परिवारों के सदस्य परेशान हो गए थे, तब से उक्त परिवारों का बहिष्कार समाप्त करवाने का प्रयास किया जा रहा था जिसके बाद अब एक बैठक के बाद ग्रामीणों ने उक्त परिवारों का बहिष्कार समाप्त कर दिया है,और इस बात की लिखित जानकारी भी दे दी है। समिति की ओर से इस मामले की जानकारी प्रशासन को भी दी गयी थी।
डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बन्द करने के इस मामले में ग्राम अचानकपुर महासमुंद के कंवर परिवार को 2015 में समाज से बहिष्कृत कर दिया गया तथा उन का हुक्का पानी बंद कर अनेक पाबंदियां लगा दी गयी थी ।जिससे उनसे कोई बात भी नही करता था व उन्हें रोजी मजदूरी से भी वंचित कर दिया गया ।बहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया कि बहिष्कार वापसी के लिए, फिर 30 हजार रुपये जुमार्ना भी लिया गया,फिर बाद में पुन: बहिष्कृत कर दिया गया था। उक्त परिवार कमजोर आर्थिक परिस्थिति के हैं और बार बार इस प्रकार की प्रताड?ा होने से गांव में अपमानित और असुरक्षित महसूस कर रहा था और एक दिन इस मामले की जानकारी लिखित में देते हुए मदद मांगी। इस मामले की लिखित शिकायत प्रशासन, शासन से करने के साथ ही ग्रामीणों से सम्पर्क व समझाइश की जाती रही।ग्राम में बैठक आयोजित हुई और अंतत: समझाइश के बाद उक्त परिवारों का बहिष्कार वापस लिया गया तथा लिखित में समझौता किया गया।
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है। सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बन्द करना एक सामाजिक अपराध है तथा यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक एवम मानवाधिकारों का हनन है ,प्रशासन को ऐसे मामलों पर कार्यवाही कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के सम्बंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड?ा से गुजरना न पड़े। किसी भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड?ा देना,उस का समाज से बहिष्कार करना अनैतिक एवम गम्भीर अपराध है। शासन से अपेक्षा है सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें ताकि प्रदेश के हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह सकें।