हार्ट, ब्लड और ब्लड वेसल्स को मिलाकर शरीर का कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम बनता है। कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम यानी दिल को चलाने वाली प्रणाली। इस प्रणाली से जुड़े अलग-अलग रिस्क फैक्टर्स को कार्डियोमेटाबॉलिक हेल्थ यानी दिल का मेटाबॉलिज्म कहते हैं। आदर्श कार्डियोमेटाबॉलिक हेल्थ के लिए 5 फैक्टर्स पर दिल की सेहत को परखा जा सकता है। ये हैं- ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर, बीएमआई व कमर की चौड़ाई का आदर्श स्थिति में होना। क्या कार्डियोमायोपैथी का आॅपरेशन ही एक मात्र इलाज है? यह पूछे जाने पर विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिल की मासंपेशी में जन्म के बाद कभी भी होने वाला या माता-पिता से मिलने वाला वंशानुगत रोग है, जिसके कारण दिल शरीर को ठीक तरह से खून नहीं पहुंचा पाता।
इसके चलते दिल काम करना बंद कर सकता है। इसका उपचार दवाएं, प्रत्यारोपित उपकरण, शल्य चिकित्सा और गंभीर मामलों में केवल प्रत्यारोपण है। अगर हृदय संबंधी जांच नॉर्मल है तो इसकी वजह मांसपेशी या बोन का दर्द हो सकता है। 35 वर्ष की उम्र में आर्ट्रियल सेप्टल डिफेक्ट की संभावनाएं ज्यादा होती है। वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट भी हो सकता है, आप डॉक्टर से सलाह लीजिए। वो कुछ जांच कर बताएंगे कि आॅपरेशन करना है तो कब। अगर आपकी रिपोर्ट समान्य भी आती है तो दवा बंद न करे, हमेशा ले और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहें। शुगर के मरीजों को हार्ट अटैक की आशंका कई गुना ज्यादा होती है। अगर 20 से 30 प्रतिशत ब्लॉकेज है तो आॅपरेशन की या एंजियोप्लास्टी की जरूरत नहीं है।
दवा और दिनचर्या में बदलाव से इसको बढ़ने से रोक सकते हैं। कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज के लिए कोरोनरी एंजियोग्राफी या सीटी एंजियोग्राफी करा सकते हैं। हृदय वाल्व की खराबी के लिए उसकी गम्भीरता अनुसार दवा, आॅपरेशन कर सुधार किया जा सकता है या उसे बदला जा सकता है। सामन्यत: स्टेंट लगने के 6 माह बाद डॉक्टर की सलाह से आॅपरेशन कर सकते हैं।