सुशांत सिह राजपूत: आत्महत्या या हत्या की साजिश?
मुबंई: पटना से आया एक लड़का जब सिनेमा के रुपहले पर्दे पर मुस्कुराता था तो कई लड़कियों की आह निकल जाती थी, जब वह नृत्य करता था तो युवतियां मदहोश हो जाती थी। पर्दे पर जब वह एक अदा के साथ दोनो बाहें फैलाता था तो उसकी बाहों में समा जाने को कई दिल मचल जाते थे। कईयों के सपनों का वह राजकुमार होता था, आज वह सबके खवाबों को अधूरा छोड़कर बेवक्त ही दुनियां से रुख़सत हो गया।
रुपहले पर्दे पर महेद्र सिंह धोनी के किरदार को धोनी से भी बेहतर अंजाम देने वाला कलाकार आज हमारे बीच नहीं रहा। पुलिस की प्राथमिक रिपोर्ट कहती है कि उन्होंने अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली?
मीडिया रिपोर्ट भी ऐसी तरफ इशारा करती है। वैसे भी आप खोजी पत्रकारिता वेंटिलेटर पर है, वह कब मर जाये कोई जानता नहीं? खेमों में बटी पत्रकारिता अब किसी तथ्य, किसी घटना की गहराई मे जाने की जहमत नहीं उठाता। जो पुलिस कहें, प्रशासन कहे, सरकार कहे चुपचाप बिना कुछ सोचें समझे नंदी बैल की तरह बस उसके इशारों पर अपना सर हिलाया करता है। दिमाग की खोजी प्रवृत्ति को न खरोचता है और ना ही कुरेदता है। भेड़ चाल की तरह बस एक खबर के पीछे अपनी खबर की नकल करते भर रहते हैं। अब पत्रकार कहा मिलते हैं? अखबारों मे लिखने वाले अपने-अपने खेमों के अब तो बस गुर्गे मिलते हैं।
खैर… सुशांत सिंह राजपूत के केस मे भी यही हुआ है। पुलिस ने कहा कि यह आत्महत्या है तो सबने मान लिया कि यह आत्महत्या है। ध्यान रहें, तब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं आई थी लेकिन अखबारों में खबरें आने लगी थी कि यह आत्महत्या है। गोया पत्रकार के पास तो कुछ अधिकार होते नही है? बस पुलिस और प्रशासन की पिपहीरी बन कर वे बजने लगे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी इंतजार नहीं हुआ।
उनकी जांच रिपोर्ट के अनुसार यह बात सच है कि सुशांत सिंह राजपूत अवसाद में थे, लेकिन क्या किसी ने यह तहकीकात करने की जहमत उठाई की वे इसका इलाज भी करा रहे थे और उनका यह मर्ज सिर्फ छः महीने पुराना था? मनोचिकित्सा में अवसाद की छः महीने की अवधी शुरुआत की अवधी होती है, इसमे मरीज कभी भी खतरनाक कदम नहीं ले सकता है, वह भी तब जब उसका इलाज़ चल रहा हो? हाँ यह हो सकता है कि किसी बाहरी मानसिक दबाव के कारण वह ऐसा कदम अकस्मात कभी भी ले ले। क्या सुशांत सिंह राजपूत के केस में ऐसा कुछ था? संभव भी है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी कभी अवसाद में थी, उन्होंने भी अपना इलाज दो साल तक करवाया था। मशहूर रैप गायक हनी सिंह भी डिप्रेशन से गुजर चुके हैं, अब वे फिर से अपनी पारी की शुरुआत कर रहे हैं। फिर क्या बात होगी कि रात को को दोस्तों के साथ पार्टी और मौज-मस्ती करता बंदा सुबह आराम से अनार का जूस पीता है और फिर पंखे से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता है?
क्या सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या काण्ड मे कोई बाहरी दबाव काम कर गया है? क्या उनका कोई दुश्मन उनकी बिमारी में उनके दिमाग़ी अवस्था के साथ खेल कर गया है?
मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम का ट्विट तो इसी तरफ इशारा कर रहा है। उन्होंने ट्विट किया है कि छिछोरे हिट होने की वजह से उनके हाथ मे सात फिल्मे आई थी, जिसमें से छः फिल्मे किसी ना किसी वजह से उनके हाथ से छीन ली गईं।
बात गौरतलब है कि सात में से छः फिल्में हाथ से छिटक जाने की घटना किसी सोची समझी रणनीति का भी हिस्सा हो सकती है? मुंबई माया नगरी में खेमे बाजी आम है। यहां किसी को आगे बढने से रोकने के लिए ऐसा किया भी जाता रहा है। बिहार के नेता पप्पू यादव और सुशांत सिंह के मामा जी के बयान भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।
मशहूर अदाकारा कंगना राणावत भी ऐसा ही कुछ बयान दे रही है कि मुंबई फिल्म उद्योग में भाई-भतीजा वाद की वजह से सुशात सिंह राजपूत को आगे बढने से रोकने की यह सब चाल हो सकती है। कंगना खुद इस नेपोटीजम का शिकार रही है, उन्होंने ने तो खुल कर मशहूर निर्माता-निर्देशक करण जौहर के लिए आक्रमक मुद्रा में बयान दिये थे, करण जौहर के साथ उनका विवाद जग जाहिर है।
ट्विटर पर उनकी बहन रंगोली उनकी तरफ से मोर्चा संभालें रहती है। उधर महाराष्ट्र के गृहराज्य मंत्री अनील देशमुख ने पेशेवर प्रतिद्वंदिता के दबाव की बात का संज्ञान लेते हुए, मुंबई पुलिस को आदेश भी दिया है कि इस कोण से भी इस आत्महत्या की गुत्थी सुलझाने का प्रयास किया जाए? एक और बात इस शंका को बल देती हैं कि मशहूर निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर ने भी एक रहस्य पूर्ण ट्विट किया है, जिसमे आत्महत्या के लिए उकसाने संबंधित किसी गहरे राज को जानने की तरफ इशारा किया गया है।
मुंबई पुलिस उनके इस ट्विट को गंभीरता पूर्वक लेते हुए, उनके भी बयान दर्ज करने वाली है। एक बात गौर करने वाली है कि 03 अप्रैल 1993 को अभिनेत्री दिव्या भारती के आत्महत्या काण्ड मे भी काफी उलझनें पैदा हो गई थी, उनकी खुदखुशी के पीछे उनके पति और मुबई माफिया पर भी शक की सूई गई थी।
मशहूर फिल्म हीर-रांझा, गहरे जख्म की अभिनेत्री प्रिया राजवंश अपने कमरे में रहस्यमयी अवस्था में मृत पाई गई थी, मुंबई पुलिस को शुरुआत में यह खुदखुशी का ही केस लगा था, तब अखबारों ने भी आत्महत्या की ही खबर छापी थी लेकिन गहराई से जांच करने के बाद पता चला कि उनके पति के बच्चो ने ही संपति विवाद के चलते उनकी हत्या कर दी थी।
70-80 के दशक मे मनोरंजन के बादशाह मशहूर निर्माता-निर्देशक मनमोहन देसाई की मृत्यु की गुत्थी आज भी अनसुलझी पहेली जैसी है। जब कि वे उस वक्त अपने जीवन के बेहतरीन दौर में थे।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के केस को भी सभी कोणों को ध्यान में रखते हुए गहराई से जांच परख करने की जरूरत है। प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का केस लग रहा है लेकिन यह भी संभव है कि उनको खुदखुशी करने के लिए बाहरी दबाव की वजह से किसी ने विवश किया हो? उकसाया हो? संभावनाए कई है।