अन्तर्राष्ट्रीय

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स ने कहा- मेरा शरीर बदल रहा है

नई दिल्ली: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी साझा की। विलियम्स ने बताया कि अंतरिक्ष में शरीर के तरल पदार्थ स्थानांतरित होने के कारण उनका शरीर फूला हुआ दिखाई देता है, लेकिन उनका वजन स्थिर है। वे नियमित कसरत कर रही हैं और सेहतमंद हैं। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स कई महीनो से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसी हैं। अंतरिक्ष में उनकी तस्वीरों से पता चला कि वे “दुबली-पतली” दिखाई दे रही हैं, जिससे अंतरिक्ष में तेज़ी से वज़न घटने के बारे में सवाल उठने लगे। ऐसे में सुनीता के स्वास्थ्य को लेकर दुनिया भर में चिंताएँ वक्‍त की जा रही थीं। ऐसे में उन्‍होंने अंतरिक्ष में कई महीने बिताने के बाद पहली बार अपनी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को साझा किया। उन्होंने अपनी शारीरिक स्थिति के बारे में जानकारी शेयर की, जिससे लंबी अवधि के मिशन के दौरान उनके वजन घटने और उनके शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में पता चलता है।

सुनीता ने वजन कम होने की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा- “मुझे लगता है कि मेरे शरीर में थोड़ा बदलाव आया है, लेकिन मेरा वजन वही है।” उन्‍होंने कहा- “यहां बहुत सारे बदलाव होते रहते हैं… यह मज़ेदार है, मुझे लगता है कि कुछ अफ़वाहें हैं कि मेरा वजन कम हो रहा है और इसी तरह की अन्य चीज़ें… नहीं, मैं वास्तव में उसी मात्रा में हूँ… स्प्रिंग मेस डैम्पनर जो हमारा वजन मापता है और मेरा वजन वही है जो मैं यहाँ आने से पहले था। “सुनीता विलियम्स जून से ISS पर रह कर काम कर रही हैं। 12 नवंबर को उन्‍होंने न्यू इंग्लैंड स्पोर्ट्स नेटवर्क के साथ इन-फ़्लाइट साक्षात्कार के दौरान अपने अनुभव के बारे में बात की।

अंतरिक्ष यात्रियों के सिर बड़े दिखते हैं
सुनीता विलियम्स ने बताया कि अंतरिक्ष में रहने के प्रभाव उनके शरीर के माइक्रोग्रैविटी के अनुकूलन में साफ दिख रहा हैं। ये एक शारीरिक तरल पदार्थों में बदलाव है, जिसके कारण पूरे शरीर में तरल पदार्थों के पुनर्वितरण के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के सिर बड़े दिखाई दे सकते हैं। सुनीता ने कहा- “हम पिछले कुछ महीनों से यहाँ हैं, हम यहाँ कसरत कर रहे हैं। हमारे पास एक बाइक है, हमारे पास एक ट्रेडमिल है और हमारे पास भारोत्तोलन उपकरण हैं। मैं निश्चित रूप से कह सकती हूँ कि वेटलिफटिंग, जो कि ऐसा कुछ नहीं है जो मैं हर समय करती हूँ, कुछ ऐसा है जिसने मुझे बदल दिया है। मेरी जाँघें थोड़ी बड़ी हो गई हैं, मेरा शरीर थोड़ा बड़ा हो गया है, हम बहुत सारे स्क्वाट करते हैं।”
सुनीता ने हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने में इन अभ्यासों के महत्व को आगे समझाया, विशेष रूप से कूल्हों और पैरों में, जो अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से प्रभावित होते हैं।

अंतरिक्ष में जल्‍दी खराब होती है हड्डियां
दरअसल अंतरिक्ष में, गुरुत्वाकर्षण की गैरमौजूदगी से हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, विशेष रूप से रीढ़, कूल्हों और पैरों जैसी वजन सहन करने वाली हड्डियों पर इसका असर दिखता है। पृथ्वी पर, गुरुत्वाकर्षण हड्डियों की मजबूती को बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में, अंतरिक्ष यात्री प्रति माह 1-2% तक हड्डी का द्रव्यमान खो सकते हैं। इससे निपटने के लिए, विलियम्स जैसे अंतरिक्ष यात्री हड्डियों के नुकसान को रोकने और अपनी हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन भारोत्तोलन, स्क्वाट और ट्रेडमिल वर्कआउट सहित प्रतिरोध अभ्यास करते हैं। इन प्रयासों के बावजूद, हड्डियों के नुकसान को पूरी तरह से रोकना एक चुनौती बनी हुई है, जिससे फ्रैक्चर और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी दीर्घकालिक हड्डी की स्थिति का खतरा बढ़ जाता है।

सुनीता की सेहत का हाल जानकर साफ हो गया कि वह अपना मिशन जारी रख सकती हैं, जिसका मकसद वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाना और NASA के आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में चंद्रमा और मंगल के भविष्य के मानव अन्वेषण के लिए तैयार करना है।

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