समर्थन की कीमत
–पटना से दिलीप कुमार
बिहार को भले ही विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया, लेकिन केन्द्र सरकार ने बजट में इतनी बड़ी धनराशि दे दी है, जिससे इसकी पूर्ति होती है। राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के लिए जिस तरह 59 हजार 409 करोड़ रुपये दिए गए हैं, उससे विकास की गति बढ़ेगी। इतनी बड़ी राशि केन्द्र की मोदी सरकार ने इसलिए भी दी है, ताकि नीतीश कुमार पाला बदलकर दूसरी ओर न जाएं। देखा जाए तो एक तरह से उनकी पार्टी के समर्थन का मूल्य मोदी सरकार ने बजट के माध्यम से चुकाया है। केन्द्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं। इसकी मांग वे समय-समय पर उठाते भी रहे हैं। इस बार के आम बजट में विशेष राज्य के दर्जे की मांग को तो पूरा नहीं किया गया, लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार को एकमुश्त 59 हजार 409 करोड़ की योजनाओं को देकर बड़ा तोहफा दिया है।
नीतीश कुमार इसकी सराहना भी कर रहे हैं। इसे लेकर उन्होंने संतुष्टि भी जताई है, लेकिन विपक्षी खासतौर पर राजद विरोध जता रहा है। तेजस्वी यादव विशेष राज्य के दर्जे की मांग से एक भी कदम पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने तो केन्द्रीय बजट को कुर्सी बचाने वाला बजट है। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने आंध्र प्रदेश और बिहार को पैकेज देकर अपनी कुर्सी बचाई है। नीतीश कुमार तो विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे थे तो विशेष पैकेज से क्या होगा।
तेज होगा आर्थिक विकास
बजट में सड़क से लेकर पुल, बिजली परियोजनाओं के लिए पैसे दिए गए हैं। इससे बिहार तेजी से विकास करेगा। आर्थिक रूप से मजबूत होगा। बजट में 26 हजार करोड़ रुपये पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे, बोधगया-राजगीर-वैशाली-दरभंगा सड़क परियोजना और बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का अतिरिक्त पुल के अतिरिक्त पुल के लिए मिले हैं। 21 हजार चार सौ करोड़ रुपये भागलपुर में बिजली संयंत्र लगाने के लिए दिया गया है। 11 हजार 500 करोड़ रुपये कोसी-मेंची लिंक परियोजना एवं बाढ़ बचाव योजना के लिए मिला है। इसके अलावा हवाई अड्डे, मेडिकल कालेज और खेलकूद के लिए जरूरी संसाधन के विकास के लिए बजट दिया गया है।
काशी विश्वनाथ की तरह कारिडोर, बढ़ेगा धार्मिक पर्यटन
बिहार में कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं, लेकिन यह आर्थिक विकास का आधार नहीं बन सका है। मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ इन स्थलों का विकास नहीं किया गया है। इस बजट में इस पर भी ध्यान दिया गया है। गया स्थित विष्णुपद मंदिर और बोधगया के महाबोधि मंदिर को विश्वस्तरीय तीर्थ एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए काशी विश्वनाथ कारिडोर की तर्ज पर यहां काम होगा। इसके अलावा राजगीर और नालंदा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए भी केन्द्र सरकार पहल करेगी। बजट में इस बात की घोषणा के साथ वित्त मंत्री ने आश्वासन भी दिया है।
बाढ़ राज्य की बड़ी समस्या है। नेपाल से निकलींं नदियां हर साल तबाही मचाती हैं। इसके लिए बजट में जो राशि मिली है, उससे निश्चित ही बाढ़ से मुक्ति मिलने की दिशा में काम होगा। तटबंधों के निर्माण के साथ अन्य काम किए जाएंगे। नदियों को जोड़ने की कोसी-मेंची लिंक परियोजना से सिंचाई की सुविधा मिलेगी। बाढ़ और सूखे से मुक्ति की दिशा में यह परियोजना कारगर साबित होगी। इसका लंबे समय से इंतजार हो रहा है। बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दीर्घकालिक अवधि के ऋण का प्रावधान भी बिहार के लिए किया गया है। ब्याज मुक्त इस ऋण में बिहार के खाते में 12-15 हजार करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। इस ऋण से बिजली, सड़क, पुल, स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई, पानी से जुड़ी परियोजनाओं को विशेष आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।