ज्ञान भंडार

मामूली आधार पर नहीं छीन सकते मूलभूत अधिकार, पत्रकार को जिला बदर करने का मामला: सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी व्यक्ति को देश में कहीं भी बसने व आने-जाने के मूलभूत अधिकार से मामूली आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र के अमरावती के एक पत्रकार के खिलाफ जारी जिला बदर आदेश को खारिज कर दिया। यह अहम टिप्पणी जस्टिस इंदिरा बनर्जी व जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम की पीठ ने, एक पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता को महाराष्ट्र के अमरावती जिला प्रशासन द्वारा जिला बदर( Externment order) किए जाने के आदेश को खारिज करते हुए की। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को देश में कहीं भी रहने या स्वतंत्र रूप से घूमने के मूलभूत अधिकार से फौरी आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता।

बता दें, जिला बदर आदेश के जरिए किसी व्यक्ति को कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में आवाजाही से प्रतिबंधित किया जाता है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जिला बदर की कार्रवाई कानून व्यवस्था कायम रखने की अपवादपूर्ण परिस्थिति में ही की जा सकती है। अमरावती शहर के डिप्टी पुलिस कमिश्नर जोन 1 ने महाराष्ट्र पुलिस एक्ट 1951 की धारा 56(1)(ए)(बी) के तहत पत्रकार रहमत खान को एक साल के लिए जिला बदर कर दिया था। आदेश में कहा गया था कि खान इस दौरान अमरावती शहर व अमरावती ग्रामीण जिले में प्रवेश नहीं कर सकता और न ही रह सकता है।

खान ने सूचना का अधिकार अधिनियम तहत आवेदन दाखिल कर जोहा एजुकेशन एंड चेरिटेबल वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित प्रियदर्शनी उर्दू प्राइमरी एंड प्री-सेकेंडरी स्कूल और मद्रासी बाबा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा संचालित अल हरम इंटरनेशनल इंग्लिश स्कूल समेत विभिन्न मदरसों को प्रतिपूर्ति किए गए कोष में हुईं कथित अनियमितताओं के बारे में जानकारी मांगी थी। खान ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने सरकारी धन के कथित दुरुपयोग को समाप्त करने और अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए कदम उठाया था।

अपीलकर्ता ने कहा कि 13 अक्तूबर 2017 को, खान ने जिला कलेक्टर और पुलिस से मदरसों की सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत और सरकारी अनुदान के कथित दुरुपयोग की जांच करने का अनुरोध किया था। इसके बाद प्रभावित व्यक्तियों ने खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद अमरावती के गागड़े नगर संभाग के सहायक पुलिस आयुक्त के कार्यालय की ओर से तीन अप्रैल 2018 को खान के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 56 (1) (ए) (बी) के तहत जिला बदर कार्रवाई शुरू की गई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 56 से 59 का उद्देश्य अराजकता को रोकना और समाज में अराजक तत्वों के एक वर्ग से निपटना है, जिन्हें दंडात्मक कार्रवाई के अन्य तरीकों से दंडित नहीं किया जा सकता।

Related Articles

Back to top button