नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मोटर दुर्घटना के मामलों की जांच एवं इससे जुड़े दावों के निपटान के वास्ते सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए देश भर के थानों में एक विशेष इकाई गठित करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एस. ए. नज़ीर और न्यायमूर्ति जे. के. महेश्वरी की पीठ ने राज्यों को तीन महीने के अंदर पुलिस थानों में एक विशेष इकाई गठित करने का निर्देश देते हुए कहा कि किसी दुर्घटना की सूचना मिलने पर संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को तीन महीने के भीतर क्लेम ट्रिब्यूनल को दुर्घटना सूचना रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए।
पीठ ने अपने फैसले कहा, राज्य के गृह विभाग के प्रमुख और पुलिस महानिदेशक मोटर दुर्घटना से संबंधित दावों के मामलों की जांच और सुविधा प्रदान करने के लिए सभी पुलिस थानों में या कम से कम शहर स्तर पर एक विशेष इकाई का गठन करेंगे।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद संबंधित जांच अधिकारी को मोटर वाहन संशोधन नियम- 2022 के अनुसार कार्य करना चाहिए और 48 घंटे के भीतर दावा न्यायाधिकरण को पहली दुर्घटना रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।
शीर्ष न्यायालय का हाल का यह आदेश इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है, जिसने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने कहा,“मामला दर्ज करने वाले अधिकारी ही संबंधित वाहन के पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन की फिटनेस, परमिट और अन्य सहायक दस्तावेजों को सत्यापित करने और संबंधित पुलिस अधिकारी के साथ समन्वय कर दावा न्यायाधिकरण के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है। नियमों के अनुसार प्रवाह चार्ट और अन्य सभी दस्तावेज या तो स्थानीय भाषा में या अंग्रेजी में प्रस्तुत की जाएगी। क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में अलग-अलग दावा याचिका दायर की है तो दावेदार/कानूनी प्रतिनिधि(ओं) द्वारा दायर की गई पहली दावा याचिका को बरकरार रखा जाएगा तथा बाद की दावा याचिका स्थानांतरित कर दी जाएगी।”
शीर्ष अदालत ने कहा, यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि दावेदारों को इस न्यायालय के समक्ष आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, विभिन्न उच्च न्यायालयों के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में दायर अन्य दावा याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग की जा रही है।
शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों को मोटर वाहन संशोधन अधिनियम और नियमों के प्रावधानों को पूरा करने के लिए हितधारकों के साथ समन्वय और सुविधा के लिए एक संयुक्त वेब पोर्टल/ मंच विकसित करने के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया।