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बिहार में जाति आधारित जनगणना पर पटना हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर को हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति आधारित जनगणना पर पटना हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर को हटाने से इनकार कर दिया। बिहार में जाति आधारित जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय के रोक लगाए जाने के बाद यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया था। वहां भी बिहार की नीतीश सरकार को झटका लग गया है।

उल्लेखनीय है कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित गणना पर रोक लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई महीने में होगी। इधर, बिहार सरकार ने अदालत से इस मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया, लेकिन अदालत ने इसे नकार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में गन्ना में अभी तक जितने भी दस्तावेज इकट्ठे किए गए हैं, वह सभी सुरक्षित हैं। राज्य सरकार यह चाहती है कि जल्द से जल्द इस गणना को पूरा करवाया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए जो भी कानूनी उपाय है, वह सबकुछ सरकार के तरफ से किया जा रहा है ।

आपको बता दे कि बिहार में जाति अधारित सर्वेक्षण मामले में न्यायमूर्ति संजय करोल के खंडपीठ से अपना नाम वापस ले लेने के कारण सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को रद्द कर दी गई थी। बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति संजय करोल ने याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था । वह कुछ महीने पहले तक पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे और वहां इस मामले की कार्यवाही का हिस्सा रहे थे।

पटना उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश के.वी. चंद्रन की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ द्वारा पारित अंतरिम स्थगन आदेश को चुनौती देते हुए बिहार सरकार ने 4 मई को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बिहार सरकार के पास जाति आधारित सर्वे करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को निर्धारित की है। इससे पहले जाति आधारित सर्वे से जुड़ा मामला दो बार सुप्रीम कोर्ट में आया था और उच्चतम न्यायालय ने इसे पटना हाईकोर्ट के पास स्थानांतरित कर दिया था। इस बीच बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को लेकर नया कानून बनाने के संकेत दिए हैं।

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