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2019 के पहले की रिक्तियों में भी सवर्णों को मिलेगा आरक्षण का लाभ: सुप्रीम कोर्ट

रांची: वर्ष 2019 के पहले की रिक्तियों में भी सवर्णों को (आर्थिक रूप से कमजोर) दस फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। नियुक्ति प्रक्रिया जिस दिन से शुरू होती है, उसी समय का नियम लागू होता है। झारखंड में सहायक अभियंताओं का वर्ष 2015 से 2018 तक की नियुक्तिों में सवर्ण आरक्षण का लाभ पाने के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। इसके साथ ही जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को सही बताया जिसमें वर्ष 2015 से 2017 तक की रिक्तियों में सवर्णों को आरक्षण दिया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस आदेश का व्यापक असर पड़ेगा। इसलिए मामले की सुनवाई में हर कानूनी पहलू पर व्यापक गौर किया गया है। अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश के चुनौती देने वाली उत्तम कुमार उपाध्याय की एसएलपी खारिज कर दी।

जल संसाधन विभाग में सहायक अभियंताओं की नियुक्ति के लिए वर्ष 2019 में जेपीएसी ने विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इस नियुक्ति में वर्ष 2015 से 2019 तक की रिक्तियां शामिल की गयी थीं और सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा था। सरकार के इस आदेश को रंजीत कुमार सिंह और अन्य ने एकलपीठ में चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि इस नियुक्ति में 2015 से 2019 तक की रिक्तियां शामिल हैं। ऐसे में सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि सरकार ने वर्ष 2019 में सवर्णों को आरक्षण देने का निर्णय लिया है। एकलपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद विज्ञापन को यह कहते हुए रद्द कर दिया की नियम बनने के पहले की रिक्तियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।

इस आदेश को सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नियुक्ति में सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को सही बताते हुए एकलपीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें सवर्णों को पिछली रिक्तियों में आरक्षण नहीं देने का निर्देश देते हुए नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दी गयी थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद जेपीएससी ने सहायक अभियंताओं की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए परीक्षा का आयोजन किया। इस बीच उत्तम कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए नियुक्ति परीक्षा में रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन कहा था कि नियुक्ति इस मामले के अंतिम आदेश से प्रभावित होगी।

फैसले से दूसरी नियुक्तियों में भी सवर्णों को मिलेगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से दूसरे विभाग की नियुक्ति में भी असर पड़ेगा। सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का कानून वर्ष 2019में बना है। यदि सरकार के दूसरे विभाग 2019 के पहले के रिक्तियों को भरने के लिए नियुक्ति प्रक्रिया 2019 के बाद शुरु करती है तो उसमें भी आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इसे स्पष्ट भी किया है।

कब क्या हुआ

-23 फरवरी 2019 को सरकार ने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया
-21 जनवरी 20 को एकलपीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दी
-6 मार्च को सरकार ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील की
-10 सितंबर 21 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ का आदेश रद्द किया, आरक्षण को सही बताया
-19 अक्तूबर को हाईकोर्ट के खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी
-20 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने जेपीएससी और झारखंड सरकार से जवाब मांगा
-2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया

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