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सूर्य मिशन भारत के लिए हो सकता है टर्निंग पॉइंट, चंद्रयान-3 की तरह करेगा कमाल

नई दिल्ली : सूर्य को समझने के लिए भारत का आदित्य एल-1 मिशन रवाना होने को तैयार है। हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक शांति प्रिया ने कहा है कि भारत के लिए पहला सूर्य मिशन टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत इस मिशन के जरिए सूर्य की गतिविधियों पर नजदीक से नजर रखने में कामयाब हो सकता है। सूर्य के रहस्यों को सुलझाने में ये मिशन अहम हो सकता है। इसको लेकर दुनिया की नजर भारत के इस मिशन पर है।

सात पेलोड के बारे में जानें

  1. वीईएलसी: विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स ने तैयार किया है। इसे सूरज की एचडी फोटो लेने के लिए तैयार किया गया है। इस पेलोड में लगा क हाई रेजोल्यूशन तस्वीरे लेने में सक्षम है।
  2. पीएपीए: प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पापा) सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉक्न्स और भारी आयन की दिशाओं का अध्ययन करेगा। सूरज की हवाओं में कितनी गर्मी है और कणों के वजन से जुड़ी जानकारी मिलेगी।
  3. एसयूआईटी: सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप एक अल्ट्रावायलेट टेलीस्कोप है। ये पेलोड सूरज की अल्ट्रावायलेट तस्वीरों को कैद करेगा। ये पेलोड सूरज के फोटो स्फेयर और क्रोमोस्प्ऊेयर की तस्वीरे लेने का काम करेगा।
  4. एसओएलईएक्सएस: सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य से निकलने वाले एक्स-रे और उसमें आने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा। ये पेलोड सूरज से निकलने वाली सौर लहरों पर नजर रखेगा और उससे जुड़े जरूरी आंकड़े जुटाएगा।
  5. एचईएल10एस: ये एक हार्ड- एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर है। वैज्ञानिकों ने इसे इस तरह से डिजाइन किया है कि वो हार्ड एक्स-रे किरणों यानी सौर लहरों से निकलने वाली हाई- एनर्जी एक्स-रे का अध्ययन करेगा।
  6. एएसपीईएक्स: इसमें कुल दो पेलोड एकसाथ काम करेंगे। पहला आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट जो कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है। ये सूरज की हवाओं में आने वाले प्रोटॉन्स और अल्फा पार्टिकलस् का अध्ययन करेगा। दूसरा पेलोड सुपरथर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल (स्टेप्स) है जो सौर हवाओं में आने वाले ज्यादा ऊर्जा वाले आयन पर शोध करेगा।
  7. एडवांस्ड ट्राई एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स (एमएजी) ये पेलोड सूर्य के चारों ओर मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा। इसके साथ ही पृथ्वी और सूरज के बीच मौजूद कम तीव्रता वाली मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा। ये सूर्ययान के मुख्य शरीर से तीन मीटर आगे निकला रहेगा।

आदित्य मिशन के जरिये पृथ्वी एवं सूर्य के बीच स्थित लैंग्रेज प्वाइंट-1 (एल-1) पर उपग्रह भेजने वाला भारत विश्व का पहला देश बनेगा। जिस प्रकार भारत ने पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर चंद्रमा को नये सिरे से खंगालना शुरू किया है, उसी प्रकार का प्रयोग सूर्य मिशन में भी किया है।

इसरो के सूत्रों ने बताया कि इस लैंग्रेज प्वाइंट-1 पर पहली बार भारत का मिशन पहुंचेगा। यह बिन्दु धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है जबकि धरती से सूर्य की दूरी 15.11 करोड़ किलोमीटर है। पृथ्वी और सूर्य के बीच ऐसे पांच लैंग्रेज प्वाइंट हैं। यह बिन्दु सूर्व के सबसे निकट है जबकि चार अन्य बिन्दु दूरी पर हैं। लैंग्रेज बिन्दु एक ऐसा बिन्दु होता है जहां धरती या सूर्य का गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव नहीं होता है तथा इस बिन्दु पर उपग्रह स्थिर रह सकता है। इसलिए यहां से उपग्रह सूर्य के बारे में आंकड़े एकत्र करेगा।

दो सितंबर को इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला आदित्य एल-1 उपग्रह चंद्रयान-3 की तुलना में चार गुना ज्यादा दूरी भी तय करेगा। चंद्रयान-3 ने 3.84 लाख किमी का सफर किया था। हालांकि 2014 में मंगलयान ने इससे कहीं ज्यादा लंबा सफर तय किया था जो करीब 37 करोड़ किमी के करीब था। फिर भी आदित्य एल-1 इसरो का एक बड़ा और चुनौतीपूर्ण मिशन साबित होगा। इसरो के सूत्रों के अनुसार हालांकि अमेरिका, यूरोप, जापान तथा चीन ने सूर्य मिशन लांच किए गए हैं कि लेकिन एल-1 बिन्दु के जरिये सूर्य पर शोध करने की दिशा में यह पहला कदम है। इसलिए यह अभियान पूरी तरह से इनोवेटिव साबित होगा और इसके जरिये महत्वपूर्ण आंकड़े हासिल किए जा सकेंगे।

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