भारत में ‘स्वदेशी तंत्र’ खड़ा करना होगा: भैयाजी जोशी
वाराणसी (एजेंसी): देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने भारत सहित दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को देखकर दुनिया के छोटे-छोटे देश भी अपने संसाधनों के बल पर पूरे आत्मसम्मान के साथ आत्म निर्भर बने। सरकार्यवाह रोहनिया स्थित सुरभि शोध संस्थान परिसर में आन-बान-शान के साथ ध्वजारोहण कर राष्ट्रगान के बाद उपस्थित स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश को स्वावलम्बी बनाने के लिए पूरे स्वाभिमान के साथ हमें विचार करना है कि व्यक्ति और समूह की इसमें क्या भूमिका हो सकती है। सरकार्यवाह ने जोर देकर कहा कि आत्मनिर्भर भारत की बात में स्वदेशी पर चलने वाले तंत्र को हमें खड़ा करना होगा। स्वावलम्बी देश के लिए शहर के साथ गांवों को भी आत्मनिर्भर बनाना होगा। भैयाजी जोशी ने पूरे संजीदगी से कहा कि आजादी के 74 साल की लम्बी अवधि में देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात चलती रही। देश कई देशों पर निर्भर रहा। दो समय के भोजन के लिए भी देश विदेशी सहायता पर निर्भर रहा। लेकिन अब तस्वीर बदली है। प्रतिष्ठा, क्षमता के कारण दुनिया में भारत की नई पहचान बनी,इस पर हमें गर्व है। वैश्विक महामारी कोरोना से संदेश मिला है कि हम अब अपने पैरों पर खड़े रहेंगे।
उन्होंने कहा कि ये कालखंड कई कारणों से चर्चा में है। देश और दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ऐसी घटनाएं कभी-कभार ही होती है। इस वैश्विक संकट में भी भारत पर अन्य देशों की तुलना में खासकर दुनिया के सबसे विकसित देश अमेरिका की तुलना में कम असर पड़ा है। यहां जनसंख्या के बावजूद संक्रमण दर और मृत्युदर अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। इसका कारण यहां की भोगौलिक स्थिति,जलवायु,सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है। इसके चलते प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित देशों की अपेक्षा अधिक है।
सरकार्यवाह के बौद्धिक सम्बोधन के दौरान मंच पर प्रान्त सरसंघचालक डॉ. विश्वनाथ लाल निगम व सुरभि शोध संस्थान के सूर्यकांत जालान मौजूद रहे। दर्शक दीर्घा में सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल व दत्तात्रेय होसबोले, अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक, अखिल भारतीय पदाधिकारी जगदीश जी, अजित महापात्र, क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार, प्रान्त प्रचारक रमेश कुमार समेत संघ के अन्य पदाधिकारियों की भी मौजूदगी रही।