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स्वामी चिन्मयानंद को जाना होगा जेल! सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद फिर एक बार मुसीबत से घिरते दिख रहे हैं। 2011 में शिष्या द्वारा दर्ज कराए गए दुराचार के मुकदमे की वापसी की गुहार लेकर वह सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद उनकी याचिका को रद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुराचार के मुकदमे को रद नहीं किया जा सकता है। इस मामले में जो भी कार्रवाई होगी, वह निचली कोर्ट में ही होगी। सुप्रीम कोर्ट ने चिन्मयानंद को 30 नवंबर तक का वक्त दिया है।

इस दौरान चिन्मयानंद को शाहजहांपुर के एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में सरेंडर करना होगा, उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। इसके बाद ही वह जमानत के लिए अर्जी दे सकेंगे। अभी अक्टूबर माह में ही शाहजहांपुर कोर्ट में चिन्मयानंद ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। बता दें कि 2017 के बाद सरकार की ओर से चिन्मयानंद पर दर्ज मुकदमे को वापसी के लिए कदम बढ़ाया गया था। उस वक्त पीड़िता ने कोर्ट में आपत्ति कर दी थी, जिस पर कोर्ट ने भी मुकदमा वापसी से इनकार कर दिया था।

इस दौरान किन्ही परिस्थितियों में पीड़िता ने भी मुकदमा वापसी को हामी भर दी। चिन्मयानंद ने उसके बाद हाईकोर्ट में अपील की लेकिन हाईकोर्ट ने मुकदमा वापसी से इनकार कर दिया। इसके बाद ही वह सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। 30 सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनपर से आपराधिक मुकदमा वापस लेने इनकार कर दिया था। सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने चिन्मयानंद के केस वापस लेने की अपील की थी। यह ऐप्लिकेशन सीआरपीसी की धारा 321 के तहत फाइल की गई थी। हालांकि शाहजहांपुर में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पहले ही इस याचिका को खारिज कर दिया था।

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