स्वर्गाश्रम/पौड़ी : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भारत की प्रथम महिला सविता कोविंद और उनकी बेटी स्वाति कोविंद ने परमार्थ निकेतन परिसर में यज्ञ/हवन को आहूत देते हुए नमन की तथा परमार्थ परिवार से मुलाकात की व उनके साथ स्मृति के क्षण व्यतीत की। भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भारत की प्रथम महिला सविता कोविंद और उनकी बेटी स्वाति कोविंद ने परमार्थ निकेतन से विदा ली। इस ऐतिहासिक यात्रा की याद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रूद्राक्ष का दिव्य पौधा परमार्थ प्रांगण में रोपित करने हेतु अर्पित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने राष्ट्रपति से सीवेज प्रबंधन, स्थायी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पराली समस्या का समाधान, नेशनल गंगा राइट्स, दुनिया भर के विभिन्न धर्मों और आस्था आधारित संगठनों, स्कूलों और अंतरधार्मिक संगठनों के साथ युवाओं के जीवन कौशल के लिये किये जा रहे कार्यक्रमों, लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने, मासिक धर्म स्वास्थ्य, लैंगिक समानता के बारे में शिक्षित करने, युवाओं को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने, माँ गंगा के संरक्षण तथा समाज में ‘स्वच्छता संस्कृति’ विकसित करने और राष्ट्र की सेवा में समर्पित कई अन्य प्रेरक पहलुओं के विषय में चर्चा की।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूज्य स्वामी के साथ अपने भाव प्रकट करते हुये कहा कि स्वर्गाश्रम सचमुच स्वर्गाश्रम है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज का सवेरा ऐतिहासिक और स्वर्णिम है जब हमारे देश के राष्ट्रपति जिनको मैं एक संत राष्ट्रपति की तरह ही देखता हूँ वे हमारे साथ हैं। भारत की प्रथम मातृ शक्ति, प्रथम महिला सविता कोविंद और प्रिय सुपुत्री स्वाति परिवार की तरह हम सब के बीच रही, सब के लिये बड़ा ही सुखद अनुभव रहा। हम आजादी का महोत्सव मना रहे हैं, मुझे लगता है कि सच्ची आजादी जिन संस्कारों और संस्कृति ने दी वही इस देश का सच्चा अमृत है। ये अमृत इसी धरती से निकलकर पूरे विश्व तक पहुंचा। सबसे बेहतर अमृत तो यही है कि भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम्, पूरी वसुधा को अपना परिवार मानता है। हमें भारत की धरती ने सर्वे भवन्तु सुखिनः के मंत्र दिये और यह वह धरती है जहां पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का इतिहास लिखा गया।
स्वामी ने कहा कि हमारे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारतीय संस्कृति को जीने वाले व्यक्तित्व है जिन्होंने भारतीय संस्कृति का दर्शन पूरे विश्व को दिया है। वे एक साधारण परिवार में जन्में परन्तु असाधारण प्रतिभा के धनी है, उनका जीवन युवाओं को प्रेरणा देता रहेगा कि विद्वत्ता और संस्कार होने पर कैसे व्यक्ति जीवन की हर ऊँचाई को छू सकता है। उन्होंने कहा कि भारत इसलिये महान नहीं है कि भारत के पास केवल गंगा है, भारत इसलिये भी महान नहीं है कि भारत के पास केवल हिमालय है बल्कि भारत इसलिये महान है कि गंगा सी पावनता, हिमालय सी ऊँचाई और सागर सी गहराई रखने वाले महापुरूष और व्यक्तित्व इस देश के पास हैं जो सदैव समाज के प्रेरणास्रोत थे, हैं और रहेंगे।
इस पूरी दिव्य यात्रा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह भी साथ रहे। उन्होंने कहा कि सचमुच उत्तराखंड की धरती दिव्य धरती है। तत्पश्चात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती जी द्वारा स्वलिखित नूतन प्रति भी भेंट की गयी। हाल ही में प्रकाशित और सबसे अधिक बिकने वाला संस्मरण, ‘हॉलीवुड टू द हिमालयज – जर्नी ऑफ हीलिंग एंड ट्रांसफॉर्मेशन’ पुस्तक भेंट करते हुये साध्वी जी ने अपनी भारत यात्रा के संस्मरण साझा किये।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उनके परिवार, सभी उच्चाधिकारियों और पूरे दल को उत्तराखंड का पारंपरिक भोजन यथा मंडवा की रोटी, झिंगोरा की खीर, गेहत की दाल भी परोसा गया। राष्ट्रपति ने डिवाइन शक्ति फाउंडेशन के तत्वाधान में निःशुल्क संचालित स्कूलों और महिला सशक्तिकरण केन्द्रों के शिक्षकों तथा ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के अन्तर्गत संचालित लाइफस्किल्स प्रोग्राम के छात्रों के समूह, सेवकों और स्वयंसेवकों की टीम के साथ भी बातचीत की। राष्ट्रपति और उनके परिवार को पूज्य स्वामी ने अगले वर्ष मार्च 2022 को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के उद्घाटन या समापन समारोह में शामिल होने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया!
इसके उपरांत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भारत की प्रथम महिला सविता कोविंद और उनकी बेटी स्वाति कोविंद व अन्य अतिथि को जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी. रेणुका देवी व अन्य ने एम्स हेलीपैड ऋषिकेश से विदाई ज्ञापित की। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी. रेणुका देवी, तृप्ति भट्ट, मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य, अपर जिलाधिकारी इला गिरि, उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार, संदीप सिंह,सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।