स्वास्थ्य

Symptoms Of Hepatitis A B C D E: हेपेटाइटिस के लक्षण: हेपेटाइटिस का घरेलू इलाज

Symptoms of Hepatitis A B C D E: हेपेटाइटिस एक ऐसा रोग है, जो गंभीर रूप में लिवर फाइब्रोसिस और लिवर कैंसर तक भी पहुंच सकता है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 52 मिलियन लोग भारत में हेपेटाइटिस बी और सी के साथ जी रहे हैं।

यह निश्चित रूप से चिंताजनक आंकड़ा है, जरूरी है कि सबसे पहले हेपेटाइटिस के सभी प्रकारों और जोखिमों के बारे में जाना जाए। इस वर्ष हेपेटाइटिस-डे की थीम ‘मिसिंग द मिलियंस’ रखी गई है, जिसके तहत उन मिलियंस लोगों तक पहुंच सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है, जो हेपेटाइटिस से ग्रसित हैं लेकिन इसके बारे में अनभिज्ञ हैं।

हेपेटाइटिस बी

विश्व में हेपेटाइटिस बी संक्रमण द्वारा होने वाला सबसे आम लिवर का रोग है। इसके बारे में नारायणा अस्पताल दिल्ली के कंसल्टेंट-गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डॉक्टर नवीन कुमार बताते हैं, हेपेटाइटिस बी एक ऐसा लिवर का संक्रमण है, जिसके परिणामस्वरूप लिवर फेलियर, अंगों का खराब होना आदि हो सकते हैं। इसके फैलने के कारण हो सकते हैं-

-संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध
-मां से बच्चे में संक्रमण
-संक्रमित सुई का प्रयोग

इसके लक्षणों के बारे में जानने से पहले यह भी समझ लें कि यह भी मुमकिन है कि शुरुआत के एक से 6 महीने तक कोई लक्षण ही न नजर आएं। बुखार, उल्टियां, बेवजह थकान, पेट के निचले हिस्से में दर्द इसके सामान्य लक्षण हैं।

हेपेटाइटिस बी बचाव और उपचार:
-डॉक्टर की सलाह अनुसार वैक्सीन लगवाएं
-असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं
-किसी के इस्तेमाल किए गए ब्लेड, रेजर आदि इस्तेमाल न करें
-शराब आदि का सेवन न करें
-मौलिक साफ-सफाई का ध्यान दें

हेपेटाइटिस ई और सी
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में चीफ ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी-हेपेटोलॉजी डॉक्टर मोनिका जैन हेपेटाइटिस ई और सी के बारे में बताती हैं। शरीर की इम्यूनिटी भी लिवर पर निर्भर करती है। इसलिए इसका विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है। हेपेटाइटिस ई, दूषित खाने और दूषित पानी पीने से होता है। इसकी शुरुआत में बुखार फिर धीरे-धीरे चक्कर फिर उल्टियां आना, उसके बाद पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

बचाव और उपचार: हेपेटाइटिस ई तकरीबन 99 फीसदी मरीजों में पूरी तरह ठीक हो जाता है, इसकी अवधि तकरीबन 4 से 6 हफ्ते की होती है।

हेपेटाइटिस सी का मूल रास्ता रक्त के जरिए माना जा सकता है, ऐसे में यह आनुवांशिक हो सकता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए गए ब्लेड, सुई करने से भी फैल सकता है। हेपेटाइटिस सी संक्रमण के बाद सिरोसिस में बदलता है और सिरोसिस के बाद कुछ मरीजों में लिवर कैंसर में तब्दील हो होता है। ऐसे में यह जितनी जल्दी पकड़ में आ जाए उतना अच्छा होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं-

-आंखों का पीला पड़ना
-पैरों में सूजन आना
-बेवजह थकान रहना
-मांसपेशियों में असहनीय दर्द
-गाढ़ा पेशाब आना

बचाव और उपचार: पहले इसे लाइलाज रोग माना जाता था लेकिन अब हेपेटाइटिस सी की दवाइयां आसानी से उपलब्ध हैं।

इससे बचने के लिए
-असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं
-नीडल या सुई फ्रेश ही इस्तेमाल करें
हेपेटाइटिस डी और ए

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल के कंसल्टेंट-गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर महेश गुप्ता हेपेटाइटिस डी के बारे में बताते हैं, इस रोग की खासियत यह है कि यह हेपेटाइटिस बी से जुड़ा है, यानी जिसको पहले से हेपेटाइटिस बी है, वह इससे संक्रमित हो सकता है। इसलिए इसमें हेपेटाइटिस बी के ही निर्देश फॉलो किए जाते हैं। वायरस के कारण होने वाला रोग है हेपेटाइटिस ए, जो अकसर मौलिक साफ-सफाई न रखने के कारण, दूषित पानी और भोजन के सेवन के कारण हो सकता है।

दस्त, बुखार, पीलिया, उल्टी, बेवजह थकान, पेट दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं।

बचाव और उपचार: इसका कोई सटीक उपचार नहीं है। संक्रमण को धीरे-धीरे शरीर से खत्म करते हैं। इसलिए मौलिक साफ-सफाई, खासतौर पर खान-पान आदि की आदतों में अपनाएं। इसका सबसे उपयुक्त बचाव वैक्सीन ही है।

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