गजलें
-
दस्तक-विशेष
गजलें
(1) फ़रेबो-झूठ मक्कारी के आगे चली है किसकी अय्यारी के आगे। मुझे भी चाल चलने दे री कि़स्मत! खड़ी क्यूँ…
Read More »
(1) फ़रेबो-झूठ मक्कारी के आगे चली है किसकी अय्यारी के आगे। मुझे भी चाल चलने दे री कि़स्मत! खड़ी क्यूँ…
Read More »