लोकतंत्र और गधे
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दस्तक-विशेष
हमारा लोकतंत्र और बेचारे गधे!
राजनीतिक व्यंग : -प्रभुनाथ शुक्ल सुबह सो कर उठा तो मेरी नज़र अचानक टी टेबल पर पड़े अख़बार के ताजे…
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