तालिबान ने कैदी को ही बना दिया काबुल जेल का प्रभारी
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से ही हर रोज कुछ न कुछ अजब-गजब होता रहता है। अब अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार में एक कैदी को ही जेल का प्रभारी बना दिया गया है। काबुल के पूर्वी क्षेत्र में बनी पुल ए चरखी जेल एक समय कैदियों से ठसाठस भरी हुई थी, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है। काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने यहां के सभी कैदियों को रिहा कर दिया है। अफगानिस्तान की कई जेलें इसी तरह वीरान हो गई हैं। रोचक तथ्य ये है कि एक दशक पहले पूर्वी कुनार प्रांत से जिस तालिबान आतंकी को पकड़कर पुल ए चरखी जेल लाया गया था, वही अब जेल का प्रभारी है।
उसने अपने दोस्तों को बताया कि उसे यहां आंखों पर पट्टी बांधकर लाया गया था। अब वह अपने कुछ तालिबान साथियों के साथ जेल की सुरक्षा व्यवस्था देख रहा है। उसके कुछ साथी जेल को देखने के लिए भी आए हुए थे। जेल से कैदी छोड़ने के बाद से उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। पानी की बोतलें, छोड़े गए सामान और चप्पल-जूते भी ज्यों के त्यों पड़े दिखाई दे रहे थे। जेल के कमांडर के साथ आए एक उसके साथी ने जेल में पड़ी एक चप्पल को अपने पैर में डाला। नाप ठीक देखते ही उसने अपनी चप्पल वहीं छोड़कर उस चप्पल को पैरों में डाल लिया।
अपना नाम बताने से इनकार करने वाला तालिबानी कमांडर अपने दोस्तों के साथ जेल परिसर के निजी दौरे पर गया था। उसने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उसे लगभग एक दशक पहले पूर्वी कुनार प्रांत में गिरफ्तार किया गया था और उसे बांधकर और आंखों पर पट्टी बांधकर पुल-ए-चरखी लाया गया था। वह अपने दोस्तों को बता रहा था कि उसे कहां कैद कर रखा गया था।
उसने कहा कि जब मैं उन दिनों को याद करता हूं तो काफी सहम जाता हूं। उसने कहा कि कैदियों को दुर्व्यवहार और यातना का सामना करना पड़ा। रिहा होने से पहले उसे लगभग 14 महीने तक जेल में रखा गया था। उसने आगे कहा, ‘वे दिन मेरे जीवन के सबसे काले दिन हैं और अब यह मेरे लिए सबसे खुशी का क्षण है कि मैं स्वतंत्र हूं और बिना किसी डर के यहां आया हूं।’
बता दें कि कई अफगानों के साथ-साथ दुनिया भर की सरकारें तालिबान की वापसी से चिंतित हैं। खासकर इस डर से कि तालिबान फिर से एक कठोर नियम लागू करेगा जैसा कि उसने 1990 के दशक में अपने पहली बार शासन के दौरान किया था। फिलहाल, जिन जेलों में कभी तालिबानी कैदियों की भीड़ थी, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है, क्योंकि तालिबान की सरकार बनते ही सभी आजाद हो गए हैं।