दुबई एयरशो: तेजस दुर्घटना

अफ़वाहों से परे, तथ्यों की रोशनी में भारत की एयरोस्पेस चुनौती
नई दिल्ली: दुबई एयरशो 2025 में भारतीय स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का क्रैश होना सिर्फ एक तकनीकी घटना नहीं थी; यह भारत की उभरती रक्षा क्षमता, उसकी वैश्विक महत्वाकांक्षा और एयरोस्पेस उद्योग की विश्वसनीयता से सीधे जुड़ा हुआ प्रश्न बन गया है। प्रदर्शनी उड़ानों में हादसे कभी भी किसी देश की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का देते हैं, क्योंकि यही वे मंच होते हैं जहाँ तकनीक, कौशल और भरोसा दुनिया के सामने पेश किया जाता है। लेकिन हादसे के तुरंत बाद जिस तरह साज़िश के आरोप और तकनीकी गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे, वह इस बात की आवश्यकता दिखाते हैं कि इस पूरे प्रसंग को ठंडे दिमाग और तकनीकी समझ के साथ देखा जाए।
साज़िश की कितनी है संभावना
यह वह प्रश्न है जो हादसे के बाद भारतीय सोशल मीडिया, टीवी बहसों और रणनीतिक मंचों पर तेजी से उभर कर आया। भारत एक उभरता रक्षा निर्यातक है, तेजस उन प्रमुख प्रतीकों में से एक है, और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बेहद तीखी है – ऐसे में साज़िश का संदेह पूरी तरह अप्राकृतिक नहीं लगता। लेकिन पेशेवर दृष्टि से यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अभी तक किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप, तोड़फोड़ या इलेक्ट्रॉनिक छेड़छाड़ का एक भी विश्वसनीय प्रमाण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।
दुखद: दुबई एयर शो में भारत का तेजस क्रैश हो गया। पायलट को इजेक्ट करने का का मौका ही नहीं मिला। ऐसा लगता है कि बहादुर फाइटर पायलट ने अंतिम समय तक इसे बचाने की कोशिश की#Dubai pic.twitter.com/A1URcTEAzD
— Rajiv Ojha राजीव ओझा🇮🇳 (@rajivojha9) November 21, 2025
दुनिया की एविएशन जांच व्यवस्था (ICAO Annex-13) किसी भी हादसे को “निष्पक्ष तकनीकी प्रक्रिया” के तहत जांचने को प्राथमिकता देती है। इसका मतलब है कि जब तक मलबे, flight data, engine components और maintenance logs की पूरी जांच न हो जाए, तब तक किसी भी आरोप पर विश्वास करना न केवल गैर-पेशेवर है, बल्कि भारत के ही हितों को नुकसान पहुँचाने वाला कदम भी हो सकता है।
तकनीकी संभावना -अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोण
फाइटर जेट्स अत्याधुनिक मशीनें होती हैं, और एरोबैटिक प्रदर्शन के दौरान जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। उपलब्ध वीडियो और विशेषज्ञों की टिप्पणियों के अनुसार, तेजस ने दुर्घटना से ठीक पहले एक जटिल मैनोवर लिया था — ऐसा मैनोवर जिसमें Negative-G या High-G बल उत्पन्न होते हैं। ऐसे मैनोवर्स में thrust-loss, compressor stall, fuel-flow बाधा, hydraulics failure, control-surface jam या sensor glitch किसी भी आधुनिक विमान में संभव है।
🚨ब्रेकिंग न्यूज
— Ocean Jain (@ocjain4) November 21, 2025
दुबई एयर शो में तेजस फाइटर जेट क्रैश: पायलट के बारे में जानकारी नहीं, डेमो फ्लाइट के दौरान हादसा pic.twitter.com/0deK5jTcJV
तेजस का रिकॉर्ड पिछले कई वर्षों में संतोषजनक रहा है, लेकिन यह भी सच है कि 2024 के क्रैश में इंजन के oil-pump failure जैसे तकनीकी कारण सामने आए थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि तेजस प्लेटफ़ॉर्म में सुधार की गुंजाइश अभी भी मौजूद है -और यह किसी भी युवा लड़ाकू विमान कार्यक्रम की वास्तविकता होती है।
भावनाओं से ऊपर उठकर क्यों देखना ज़रूरी है?

क्रैश के तुरंत बाद भावनाएँ उफान पर आना स्वाभाविक है – तेजस भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक रहा है। लेकिन रक्षा उद्योग का मूल सिद्धांत “पारदर्शिता + तकनीकी तथ्यों पर आधारित सुधार” है।
भावनाओं के आधार पर लिया गया कोई भी निष्कर्ष-चाहे वह साज़िश का दावा हो या गुणवत्ता पर सीधा हमला-भविष्य में भारत की credibility को ही कमजोर करेगा।
यह भारत के हित में है कि:
• जांच पूरी हो,
• तकनीकी कारण सामने आएँ,
• और फिर सुधार लागू किए जाएँ।
जैसा अमेरिका, फ्रांस, जापान और इज़राइल दशकों से करते आए हैं।
तेजस क्रैश से क्या भारत की अंतरराष्ट्रीय चुनौती कमजोर होगी?
यह प्रश्न महत्वपूर्ण है क्योंकि तेजस केवल एक विमान नहीं, बल्कि भारत की रक्षा निर्यात रणनीति का केंद्र है।
शॉर्ट-टर्म प्रभाव:
• संभावित खरीदार देशों में संदेह स्वाभाविक है।
• एयरशो क्रैश हमेशा सबसे अधिक दृश्य प्रभाव छोड़ते हैं।
लॉन्ग-टर्म प्रभाव:
यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस हादसे के बाद तकनीकी पारदर्शिता, जांच की गति और सुधारात्मक कदमों को कितनी गंभीरता से लागू करता है।

दुनिया के सबसे सफल लड़ाकू विमान — F-16, F-18, Rafale, Eurofighter Typhoon — सबने प्रदर्शन या प्रशिक्षण के दौरान कई दुर्घटनाएँ देखी हैं।
फिर भी वे आज वैश्विक रक्षा बाज़ार में सबसे अधिक सफल हैं। कारण केवल एक: तकनीकी विश्वसनीयता + पारदर्शिता + निरंतर सुधार।
भारत के पास भी यही मार्ग है।
क्या तेजस कार्यक्रम अब धीमा हो जाएगा?
यह नहीं भूलना चाहिए कि बड़े प्लेटफॉर्म दुर्घटनाओं के बाद अक्सर समीक्षा की जाती है, न कि कार्यक्रम को रोका जाता है। यह मानक प्रक्रिया है।
तेजस MK-1A, MK-2 और TEDBF जैसे कार्यक्रम पहले से ही pipeline में हैं और हादसे के बाद इनकी सुरक्षा समीक्षा और भी मजबूत हो जाएगी। यह एक जोखिम नहीं, बल्कि अवसर भी है—बेहतर QC, बेहतर engine synchronisation, sensor calibration और software validation जैसे कदम भारत की क्षमता को और बढ़ा सकते हैं।
भारत को अब क्या करना चाहिए?
1. Court of Inquiry की रिपोर्ट सार्वजनिक हिस्से में जारी करे — जहां सुरक्षा गोपनीयता बाधा न बने।
2. खरीदार देशों को Technical Dossier / Briefing Note दे — ताकि अफवाहों को नियंत्रित किया जा सके।
3. पूरे QC और सप्लाई चेन की समीक्षा करे — HAL + engine suppliers + software vendors।
4. Airshow protocols अपडेट करे — कुछ मैनोवर्स की सीमाएँ तय हों।
5. डोमेस्टिक पब्लिक डिबेट को तकनीकी बनाना होगा — भावनात्मक नहीं।

अंतिम निष्कर्ष
दुबई एयरशो का हादसा दुखद है, और तेजस का क्रैश भारत के लिए एक इंजीनियरिंग, मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक-तीनों स्तरों पर चुनौती है। लेकिन यह संकट ऐसा नहीं जिसे हल न किया जा सके। भारत को अब केवल एक सूत्र का पालन करना है: तथ्य, विज्ञान, पारदर्शिता और सुधार।इसी से तेजस मजबूत होगा,इसी से विश्वास लौटेगा,और इसी से भारत की एयरोस्पेस महत्वाकांक्षा आगे बढ़ेगी।




