जीवनशैलीदस्तक-विशेष

मेरी यही सोच है

पूनम चंद्रवंशी

जीवनशैली: कोरोना वायरस अभी ख़त्म नहीं हुआ है, लॉकडाउन को ख़त्म करना या सब कुछ खोल देना सरकार की मजबूरी है, पर अगर हम लोग समझदार हैं तो हमें इतना समझना चाहिए कि चाहे कितने भी पैसों का नुक़सान हो जाए, जान की क़ीमत उससे कहीं ज़्यादा है। जैसे कि मैं आज कल देख रही हूँ, जब से सरकार ने सब कुछ खोलने की इजाज़त दी है, लगभग हर इंसान ने अपना बिज़नस दोबारा खोल लिया है, यह कहकर कि हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। यह हमारी सबसे बड़ी बेवकूफ़ी है और कोरोना की सबसे बड़ी जीत।

मैं ऐसा मानती हूँ कि जो भी लोग मध्यम वर्ग या उससे नीचे हैं, जिनके पास पैसे ख़त्म हो चुके हैं या ख़त्म होने वाले हैं, जिनको रोटी खाने के लिए कमाने की मजबूरी है जिनके पास सिर्फ़ एक ही रास्ता है या तो काम पे जाएं और या फिर भूख से मर जाएं सिर्फ़ उन्हीं को काम पे जाना चाहिए और जो लोग मध्यम वर्ग से ऊपर हैं, जिनके पास पर्याप्त धन है और वो घर में बैठ कर आराम से 1-2 साल तक खा सकते हैं, उन सबको अपनी दुकानें यह बिज़नेस नहीं खोलने चाहिए।

उनको अपनी और अपने परिवार की जान को जोखिम में नहीं डालना चाहिए। उनको कोरोना की वैक्सीन या इलाज आने का कम से कम 1-2 साल तक इंतज़ार करना चाहिए। ऐसा करने से ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा? आपका थोड़ा सा धन कम हो जाएगा, मगर सोचिए अगर आपकी दुकान खोलकर उसमें जाने की वजह से आपके परिवार में भगवान न करें किसी एक व्यक्ति की भी मृत्यु हो गई तो क्या आप अपनी पूरी दौलत देकर भी उस व्यक्ति को वापस ला पाएंगे?

मंदिर : मैं मानती हूँ भगवान हर जगह हैं, भगवान हमारे अंदर है, भगवान कण-कण में है, भगवान से कुछ माँगने या उनकी पूजा, आराधना करने के लिए मंदिर जाना ज़रूरी नहीं है। भगवान भी समझते हैं कि अगर आप मंदिर आएंगे तो आपकी और आपके परिवार की जान को ख़तरा हो सकता है, इसलिए वो ऐसा कभी नहीं चाहेंगे कि आप ऐसा करें।

ब्यूटी पार्लर : अगर आप 1-2 साल या कोरोना की दवा या वैक्सीन आने तक ब्यूटी पार्लर न जाएं और अपने और अपने परिवार की जान को बचाये रखें, तो ब्यूटी भी रह जाएगी और बाद में पार्लर भी जा पाएंगे।

शॉपिंग : अब तक इतने सालों में आपने पर्याप्त सामान ख़रीद लिया होगा, कुछ ज़रूरी चीज़ों को अगर छोड़ दिया जाए, तो मुझे लगता है आप कुछ वक़्त तक बिना शॉपिंग किए, आराम से ज़िंदगी जी सकते हैं।

व्यायाम : अगर आप चाहें तो व्यायाम या योगा घर पर भी कर सकते हैं, अगर आप कुछ महीनों के लिए पार्क या जिम नहीं जाएंगे, तो ज़्यादा से ज़्यादा आपका 20 किलो वज़न बढ़ जाएगा, अगर ज़िंदा रहेंगे तो बाद में से कम भी कर सकते हैं।

हॉलिडे : सारी ज़िंदगी से आप हॉलिडे पर जाते रहे हैं और अब तक बहुत घूम चुके हैं, अब वक़्त है चुपचाप घर में बैठकर कोरोना की दवा आने का इंतज़ार करने का और जब कोरोना ख़त्म हो जाए तो ज़िंदगी भर घूमते रहिये।

स्कूल और कॉलेज : अगर सरकार स्कूल और कॉलेज खोल भी देती है, तो जब तक कोरोना पूरी तरह ख़त्म नहीं हो जाता, बच्चों को स्कूल भेजने का मतलब ही नहीं बनता।

शादी : शादी करने की इतनी क्या जल्दी है? जब मुँह पर मास्क लगाकर शादी करनी पड़े! शादी के बाद पति के साथ सोशल डिस्टेंसिंग करनी पड़े? और अगर गलती से बच्चा हो गया, तो उसे कोरोना काल में जन्म देना महा मूर्खता होगी। (उन महिलाओं की बात अलग है जो कोरोना आने से पहले से गर्भवती है) इसलिए शादी को कोरोना की वैक्सीन आने तक टाल दीजिए।

यह सब करके आप सिर्फ़ अपनी ही नहीं बल्कि अपने परिवार की और समाज के कई लोगों की जान भी बचा सकते हैं। सरकार पर भी लोगों की जान बचाने का दबाव कम पड़ेगा। बस हमें कुछ समय तक पैसों के बारे में न सोचकर, सिर्फ़ जान के बारे में सोचना है और ज़िंदगी को कुछ वक़्त तक थाम कर कोरोना को हराना हैं।

आपका एक सवाल यह भी हो सकता है कि अगर कोरोना की दवा या वैक्सीन कभी ना आई तो? उसका जवाब ये हैं कि, हमें कम से कम 1-2 साल तक उसके आने का इंतज़ार करना चाहिए। जब इतना लंबा इंतज़ार करने के बाद भी वैक्सीन ना आए, तो फिर हमें मजबूर होकर, अपनी जान जोखिम में डालकर, सामान्य ज़िंदगी जीना शुरू कर देना चाहिए, परंतु कम से कम 1-2 साल तक इंतज़ार करने के बाद।

ये सब कहकर मेरा मक़सद किसी के काम धंधे का सत्यानाश करना नहीं है, कई लोग सोचेंगे कि मेरे ऐसा कहने से उनके बिज़नस पर असर पड़ सकता है, पर मेरे लिए इस वक़्त हर चीज़ से बढ़कर सिर्फ़ एक ही चीज़ ज़रूरी है, इंसान की जान। अगर मेरी बात किसी को बुरी लगी हो तो मुझे माफ़ कर दें पर मैंने वही कहा जो मेरे दिल में था, बाक़ी आपकी अपनी ज़िंदगी है, आपके अपने विचार है, आपकी अपनी मर्ज़ी है, जिसको जैसा अच्छा लगे वो वैसा करे।

मेरे साईं इस महामारी कोरोना को पूरे विश्व से जल्दी समाप्त करें, जितने भी लोग इससे प्रभावित हैं उनको जल्दी स्वस्थ करें और बाक़ी सबको इससे बचाकर रखें, मैं ऐसी कामना और प्रार्थना करती हूँ।

ॐ साईं राम

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