इसलिए सक्रिय राजनीति से संन्यास नहीं लेना चाहती हैं मायावती, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले बड़ा ऐलान
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने राजनीतिक संन्यास की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि कुछ लोग बहुजनों के अम्बेडकरवादी कारवां को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है। वह जिन्दगी की आखिरी सांस तक बसपा के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान आंदोलन के लिए समर्पित रहने वाली हैं। ऐसे में सक्रिय राजनीति से उनका संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 27 अगस्त को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में होने वाली बैठक को लेकर मीडिया में यह अटकलें लगायी जा रहीं थी कि मायावती अपने भतीजे आकाश आनन्द का कद बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा उनके संन्यास लेने की भी अटकलें थीं। इसलिए बैठक से पहले कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए ऐसी सारी अफवाहों को विराम लगा दिया है।
बसपा प्रमुख ने सोमवार को ‘एक्स’ के सोशल मीडिया हैंडल पर अपने आधिकारिक एकाउंट से जानकारी देते हुए कहा ” बहुजनों के अम्बेडकरवादी कारवां को कमजोर करने की विरोधियों की साजिशों को विफल करने और बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं कांशीराम जी की तरह ही मेरी जिन्दगी की आखिरी सांस तक बसपा के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान आंदोलन को समर्पित रहने का फैसला अटल है।”
उन्होंने अगली पोस्ट में कहा ”अर्थात् सक्रिय राजनीति से मेरा संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। जबसे पार्टी ने आकाश आनन्द को मेरे ना रहने पर या अस्वस्थता की स्थिति में बसपा के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है तबसे जातिवादी मीडिया ऐसी फर्जी खबर प्रचारित कर रहा है जिससे लोग सावधान रहें।” मायावती ने यह भी कहा ”पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाह उड़ाई गयी, जबकि कांशीराम जी ने ऐसी ही पेशकश को यह कहकर ठुकरा दिया था कि राष्ट्रपति बनने का मतलब है सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना होता है, जो पार्टी हित में उन्हें गंवारा नहीं था। तो फिर उनकी शिष्या को यह स्वीकारना कैसे संभव है..?”