पंजाब

जेल से नशा सप्लाई के जुड़े तार का मामला, बंदियों की खुसर-फुसर को भी नहीं भाप सका प्रशासन

लुधियाना: ताजपुर रोड की सैंट्रल जेल का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी मोबाइलों के माध्यम से नशा व वर्जित वस्तुएं मंगवाने के नेटवर्कों के खुलासे कई बार एस.टी.एफ. कर चुकी है फिर भी कुछ बंदी अपने चहेतों के माध्यम से कथित रूप से भुगतान कर कैदियों व हवालातियों को नशा सप्लाई करने के हथकंडे अपनाते हैं। इसका एक और पर्दाफाश फतेहगढ़ पुलिस ने ड्रग फार्मा नशे की सप्लाई करने के तार लुधियाना की जेल से जुड़े होने का किया। इससे जेल अधिकारियों की सुरक्षा कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आ गई है क्योंकि ऐसी चर्चा हो रही है जेल का खुफिया तंत्र पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। जो बैरकों में बंद बंदियों की खुसर-फुसर को भी नहीं भाप सका।

जिसके चलते जेल में बंद नशा तस्कर मोबाइलों के जरिए सरेआम अपना नेटवर्क चला रहे हैं और जेल प्रशासन हाथ पर हाथ रखकर बैठा है। हालांकि जेल प्रशासन समय-समय पर बैरकों की तलाशी लेकर मोबाइल व वर्जित सामान बरामद भी करता है और संबंधित हवालाती व कैदियों के खिलाफ जेल एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए पुलिस को भी भेजता है। लेकिन अभी तक न तो जेल प्रशासन और न ही जिला पुलिस खुलासा कर पाई है कि आखिरकार जेल के अंदर मोबाइल फोन कैसे पहुंच रहे हैं जिनका प्रयोग नशा तस्कर व गैंगस्टर करके बाहरी लोगों से संपर्क साधते हैं।

इसके अतिरिक्त जेल में बंद कुख्यात अपराधी सरेआम मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं और कई आरोपी सोशल मीडिया पर भी लाइव होकर जेल प्रशासन को चुनौती दे चुके हैं। कुछ समय पहले ही बंदियों की हुक्का व शराब के प्याले छलकाने की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल की गई थी, जिसके बाद जेल विभाग ने वीडियो वायरल करने वाले बंदियों को दूसरी जेलों में शिफ्ट कर दिया था। लेकिन विभाग ने जेल के अन्दर ऐसी लापरवाही की किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की। हाल ही में हुए ड्रग फार्मा के खुलासे के बाद सैंट्रल जेल से ईशान व रवि को पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आई है और इनसे कई खुलासे होने की संभावना बनी हुई है।

जेल में लंबे समय से तैनात अधिकारियों/कर्मचारियों पर गिर सकती है गाज
सैंट्रल जेल में सुरक्षा कार्यप्रणाली के प्रति हो रही किरकिरी की विस्तृत रिपोर्ट कुछ एजेंसियां अपने विभागों को समय-समय पर आदान प्रदान करती रहती है। सूत्रों के अनुसार जिम्मेवार अधिकारियों/कर्मचारियों के पास एक ही जवाब होता है कि जेल के अन्दर प्रतिबंधित वस्तुएं फैंकों के माध्यम से आती है। जेल में स्थापित सुरक्षा टावरों पर तैनात सुरक्षा कर्मचारियों की निगाह वर्जित सामान फैंकनें वालों पर क्यों नहीं पड़ती। जिस कारण जेल में लंबे समय से तैनात अधिकारियों/कर्मचारियों पर ऐसी लापरवाहियों की गाज कभी भी गिर सकती है।

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