नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट एक बीमा कंपनी की उस अपील पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है जिसमें उसने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश को चुनौती दी है। एनसीडीआरसी ने उसे एक महिला को 13.48 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था जिसके पति ने आत्महत्या कर ली थी। रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह बीमा नीति के दायरे से बाहर है।
एनसीडीआरसी के आदेश पर रोक लगाते हुए जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्न की बेंच ने बीमा कंपनी के ब्रांच मैनेजर की ओर से दायर अपील पर महिला को नोटिस जारी किया। बेंच ने 20 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा कि नोटिस जारी किया जाता है, जिस पर आठ हफ्तों के भीतर जवाब आना चाहिए। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश पर रोक रहेगी।
बीमा कंपनी की ओर से पेश हुए वकील ने बेंच के समक्ष कहा कि बीमा नीति की धारा 9 और धारा 12 की सामान्य शर्तों में कुछ चीजों के बाहर रहने के मद्देनजर नीति शुरू होने की तारीख से 12 महीनों के भीतर किसी बीमाधारक द्वारा आत्महत्या करने पर कोई धनराशि का भुगतान नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह नीति 28 सितंबर 2012 को चालू हुई थी और प्रीमियम न देने के कारण 28 सितंबर 2013 को इसकी अवधि खत्म हो गई। 25 फरवरी 2014 को फिर से बीमा नीति बहाल की गई और 30 जून 2014 को आत्महत्या से मौत हुई यानी कि नीति बहाल होने के 12 महीनों के भीतर।
जब बीमा कंपनी ने बीमा राशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया तो मृतक की पत्नी ने जिला फोरम का रुख किया जहां कंपनी को उसे 13.48 लाख रुपये देने का निर्देश दिया गया।