झारखण्डराज्य

चारपाई बनी स्ट्रेचर, कंधे बने एंबुलेंस…गुमला के इस गांव में झकझोर देने वाली स्थिति; गर्भवती को चारपाई पर लादकर पैदल चले परिजन लेकिन…

रांची: वैसे तो झारखंड सरकार राज्य में विकास के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। दरअसल, गुमला में एक गांव की हालत इतनी खराब है कि वहां से अस्पताल जाना एक चुनौती बन गया है।

बताया जा रहा है कि जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती दीरगांव पंचायत अंतर्गत झलकापाट गांव में अब तक सड़क ही नहीं बनी। सड़क न होने से एंबुलेंस या अन्य वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते जिसके चलते बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाना परिजनों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

यहां सुविधाओं के अभाव में एक गर्भवती की जान चली गई। महिला सुकरी कुमारी को पति जगरनाथ कोरवा सहित परिजनों ने सड़क के अभाव में झीलगी में लादकर लगभग एक किलोमीटर पैदल चलकर काड़ा सिल्ली गांव तक पहुंचाया। वहां से ममता वाहन एंबुलेंस की सहायता से महिला को घाघरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, लेकिन तब तक गर्भवती महिला की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के लगभग 78 साल बीत जाने के बाद भी झलकापाट गांव में सड़क नहीं बन पाई है। सड़क नहीं होने के कारण गांव के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि झलकापाट गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए अविलंब सड़क निर्माण कराया जाए, ताकि भविष्य में किसी मरीज या गर्भवती महिला को इस तरह की पीड़ा न सहनी पड़े।

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