छत्तीसगढ़

रेडी-टू-ईट मामले में सरकार के पक्ष में फैसला, हाईकोर्ट ने कहा- शासन की व्यवस्था सही, महिला समूहों की 287 याचिकाएं खारिज

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेडी-टू-ईट मामले में फैसला सुना दिया है। अदालत का निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आया है। हाईकोर्ट ने रेडी-टू-ईट फूड को लेकर राज्य शासन द्वारा बनाई गई व्यवस्था को सही माना और कहा कि इससे आहार की गुणवत्ता बेहतर होगी। इस आदेश के साथ जस्टिस आरसीएस सामंत ने महिला स्व सहायता समूहों की ओर से दायर 287 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब रेडी-टू-ईट उत्पादन का काम ऑटोमैटिक मशीन से कराने का रास्ता साफ हो गया इै।

कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि राज्य सरकार ने रेडी-टू-ईट वितरण के काम को केंद्रीयकृत करने का फैसला लिया है। 22 नवंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद रेडी-टू-ईट फूड निर्माण व वितरण का कार्य एक फरवरी 2022 से स्थानीय महिला स्व सहायता समूह के स्थान पर छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित यूनिट के माध्यम से करने का आदेश महिला व बाल विकास सचिव रीना बाला साहेब कंगाले ने जारी किया था। शासन के इस निर्णय के खिलाफ 5 महिला स्व सहायता समूहों ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया था कि पूरे प्रदेश में 20 हजार से ज्यादा महिलाओं इस काम में लगीं हैं।

राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को काम
हाईकोर्ट में अलग-अलग स्व सहायता समूह की ओर से करीब 287 याचिकाएं दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 28 जनवरी को सुनवाई करते हुए शासन के आदेश पर रोक लगा दी थी और स्व सहायता समूह को आगामी सुनवाई तक बिना किसी बाधा के कार्य करने का आदेश दिया था। छत्तीसगढ़ शासन ने अपने जवाब में कहा था कि छत्तीसगढ़ में चल रही रेडी टू ईट योजना से महिला स्व सहायता समूहों को पूरी तरह से बाहर नहीं किया गया है। वह इसका निर्माण कार्य नहीं करेंगी, लेकिन फूड का परिवहन और वितरण की जिम्मेदारी उनके ही पास रहेगी। इसे बनाने का जिम्मा राज्य सरकार ने राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को सौंप दिया है। शासन ने तर्क दिया था कि इससे पोषण आहार की गुणवत्ता में सुधार होगा।

भाजपा ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा
बता दें कि भाजपा ने राज्य सरकार पर रेडी-टू-ईट पौष्टिक भोजन के निर्माण और वितरण में लगी महिला स्व सहायता समूहों का रोजगार छीनने का आरोप लगाते हुए विधानसभा में जमकर हंगामा किया था। विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा सहित अन्य भाजपा विधायकों ने इस मामले को उठाया था और चर्चा कराए जाने की मांग की थी। इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार भूपेश बघेल सरकार पर हमलावर रही है। विपक्ष ने महिलाओं से रोजगार छिनकर बाहर की कंपनी को काम देने का आरोप भी लगाया था।

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