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शीतकाल के लिए बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट, इस बार 8.22 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

देहरादून: संपूर्ण भारत वर्ष को अपने पवित्र जल से जीवन देने वाली मां गंगा के उत्तराखंड में हिमालय पर्वत पर स्थित पवित्र श्री मां गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए शनिवार को अन्नकूट त्योहार पर बन्द हो गए। इससे पूर्व, वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य विधि विधान से पूजाएं की गईं।

मां गंगा की उत्सव डोली मुखबा के लिए रवाना
गढ़वाल हिमालय में स्थित चार धाम (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के कपाट शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं। गंगोत्री मंदिर समित के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि समुद्र तल से करीब 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री मंदिर के कपाट अन्नकूट के शुभ अवसर पर धार्मिक अनुष्ठानों के बीच दोपहर 12.14 बजे बंद कर दिए गए। सेमवाल ने बताया कि भक्तों और पुजारियों के “हर हर गंगे, जय मां गंगे” का उद्घोष लगाने के बीच गंगोत्री मंदिर के कपाट औपचारिक रूप से बंद कर दिए गए, जिसके बाद देवी गंगा की प्रतिमा एक पालकी में रखकर मुखबा के लिए रवाना की गई, जहां पूरे शीतकाल के दौरान उनकी पूजा की जाएगी।

8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
चार धाम में गंगोत्री मंदिर के कपाट सबसे पहले बंद किए गए। इस बार आठ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस मंदिर में दर्शन किए। यमुनोत्री और केदारनाथ मंदिर के कपाट रविवार को, जबकि बदरीनाथ मंदिर के कपाट 17 नवंबर को बंद किए जाएंगे। इन चारों मंदिरों के कपाट हर साल अप्रैल-मई में गर्मियों की शुरुआत के बाद खोले जाते हैं। शीतकाल में यमुना जी की उत्सव मूर्ति खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर में विराजमान रहेंगी। जहां पर शीतकाल के दौरान श्रद्धालुजन यमुना जी के दर्शन व पूजा- अर्चना कर सकेंगे।

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