लखनऊ। खण्डग्रास सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को होगा। अमावस्या तिथि मूल नक्षत्र और धनु राशि में लगेगा। यह ग्रहण वलयाकार कंकड़ाकृति चांदी के कंगन के आकार का सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण का स्पर्श प्रात: 8:20 से चरम अवस्था में प्रात: 9:37 और मोक्ष प्रात: 11:07 तक होगा। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व 25 दिसम्बर को सायंकाल 8 से आरम्भ होगा। सूतक के चलते मंदिर के द्वार बुधवार रात 8 बजे बंद हो जाएंगे।
स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सूतक काल में भोजन आदि करना माना है लेकिन वृद्धों, बच्चों एवं रोगियों पर लागू नहीं होता है। ग्रहण काल में मन्दिर में प्रवेश और मूर्तियों का स्पर्श भी मना है लेकिन जप एवं मंत्र सिद्धि आदि फलदायी है। सूर्य ग्रहण में सूर्य के मंत्र या महामुत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत के अलावा यह सूर्य ग्रहण सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में दिखेगा। सूर्य ग्रहण में 30 दिन के अन्दर ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव पड़ते है। ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण और ग्रहण के कारण पृवी पर कास्मिक ऊर्जा का ह्नास होता है, जिससे पृवी पर प्राकृतिक आपदायें आती है।
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सूर्य ग्रहण के समय 6 ग्रहों (सूर्य, चन्द्रमा, बुध, गुरु, शनि एवं केतु) की युति है। ऐसे में सत्ता वर्ग के लिए परेशानी दायक प्राकृतिक आपदाय एवं जन धन हानि की आशंका भी व्यक्त करती है। कर्क, तुला, कुंभ, मीन राशि वालों के लिए शुभ फलदायक मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक राशि वालों के लिए मिश्रित तथा वृष कन्या धनु मकर राशि वालों के लिए सामान्य फलदायक होगा।
ग्रहण काल में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है ग्रहण में सोना भोजन करना मूर्ति स्पर्श करना आदि वर्जित है गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में सावधानी रखें ग्रहण देखना भी सही नहीं होता है। इस समय चाकू, कैंची, सुई का प्रयोग न करें।
इन्हें पेट पर गेरू का लेप करना चाहिए। अपने साथ नारियल भी रखना चाहिए। इस समय यात्रा करना सही नहीं खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते या कुशा डालना चाहिए। सूतक काल समाप्त होने के बाद पीने के पानी को अवश्य बदलें।