‘आप’ नेताओं की गुटबंदी का लोकसभा व नगर निगम चुनावों में पड़ सकता है असर, जानें कैसे
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जालंधर: जालंधर छावनी हलके में आम आदमी पार्टी के नेताओं की गुटबंदी लगातार बढ़ती जा रही है। पार्टी के ही कुछ नेता 2022 में पार्टी की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले ओलिम्पियन सुरिन्द्र सिंह सोढी अर्जुन अवार्डी (पूर्व आई.जी. पंजाब पुलिस) को हलका प्रभारी के पद से हटाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। सोमवार को जालंधर कैंट हलके में आए पंजाब के सी.एम. भगवंत मान को मिलने के लिए पार्टी के वर्कर सी.टी. इंस्टीच्यूट शाहपुर में हैलीपेड पर 2 घंटे इंतजार करते रहे लेकिन पार्टी के नेताओं की गुटबंदी ने उन्हें मुख्यमंत्री तक पहुंचने नहीं दिया और वे निराश होकर अपने घरों को वापस चले गए। सोढी के पास जाने वाले वर्करों को भी रोका जा रहा है।
कैंट हलके में हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि पार्टी को बड़ा नुक्सान झेलना पड़ सकता है। ओलिम्पियन सोढी सब कुछ जानते हुए भी शांत बैठे हुए हैं और पार्टी वर्करों से उनका विरोध करवाने वाले नेताओं की उन्होंने अभी तक पार्टी हाईकमान के पास कोई शिकायत तक नहीं की है। उनका इतना जरूर कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि पार्टी उन्हें हलका प्रभारी के पद से नहीं हटाएगी। उन्होंने कहा पार्टी की मजबूती के लिए उनके द्वारा जो मेहनत की जा रही है, उसकी पूरी जानकारी वह पार्टी के बड़े नेताओं को जरूर देते रहते हैं। पार्टी के जो नेता घटिया साजिशें रच रहे हैं, उससे उन्हें कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। वह लंबे समय तक खेल मैदान में खेलते रहे हैं, जिसके चलते हमेशा उनकी सोच पॉजिटिव ही रही है।
‘आप’ में शामिल होने वाले भी परेशान
विरोधी पार्टियों को छोड़कर आप में शामिल होने वाले भी पार्टी नेताओं की गुटबंदी के कारण काफी परेशान हैं। उन्हें अपने बोर्ड लगाते समय इस बात का खास ध्यान रखना पड़ रहा है कि वे बोर्ड में किसकी फोटो लगाएं और किसकी न लगाएं। मौजूदा हलका प्रभारी होने के बावजूद भी सुरिन्द्र सिंह सोढी की फोटो लगाने पर पार्टी के ही नेताओं द्वारा काफी एतराज जताया जाता है। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द इसका हल निकालना होगा।
लोकसभा व निगम चुनावों पर पड़ेगा असर
अप्रैल-मई 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों तथा उससे पहले होने जा रहे निगम चुनावों व जालंधर लोकसभा हलके के उपचुनाव पर भी जालंधर कैंट हलके के ‘आप’ नेताओं की गुटबंदी का असर पड़ सकता है। विरोधी पार्टियां इसका लाभ उठा सकती हैं और ‘आप’ को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। कैंट हलके में पड़ते निगम के वार्डों से आम आदमी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले अभी तक यह यह भी समझ नहीं पा रहे हैं कि कौंसलर की टिकट उन्हें देनी किसने है। हलका प्रभारी सोढी ने या किसी और ने।