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इस दिन लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें इस दौरान क्‍या करें और क्‍या न करें?

नई दिल्ली : सूर्य ग्रहण को विज्ञान में एक खगोलिया घटना बताया गया है लेकिन हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण को बहुत खास माना जाता है. इस वर्ष वैशाख अमावस्या पर 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है. सूर्य ग्रहण की शुरुआत सुबह 07.04 मिनट पर होगी और समाप्ति दोपहर 12.39 मिनट पर होगी. आमतौर पर सूर्य ग्रहण अमावस्या पर और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर लगता है. ग्रहण में सूतक काल की बहुत अहमियत होती है.

सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है. सूतक को शास्त्रों में अशुभ माना गया है, इसलिए इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए नहीं तो जीवन पर बुरा असर पड़ता है. हालांकि इस सूर्य ग्रहण का भारत पर प्रभाव नहीं होगा इसलिए सूतक काल भी मान्य नहीं रहेगा लेकिन ऐहतियात के तौर पर कुछ खास चीजों का पालन कर सकते हैं.

सूर्य ग्रहण-सूतक में क्या न करें
हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सूतक काल के समय पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है. सूतक के अशुभ दोषों से सुरक्षित रहने के लिए अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ग्रहण और सूतक के दौरान कोई भी शुभ कार्य पूजा, खरीदारी नहीं करना चाहिए.

सूतक काल में सूर्य को अर्घ्य भी नहीं दिया जाता, न ही तुलसी और किसी भी पूजनीय पेड़-पौधों में जल अर्पित करते हैं. इस दौरान सोना भी नहीं चाहिए. इससे दोष लगता है.

सूतक में समस्त प्रकार के ठोस तरल खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित है, हालांकि बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को छूट है.इसमें न ही भोजन पकाना चाहिए, न ही इनका सेवन करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना गया है.

सूर्य ग्रहण के दिन गर्भवती महिलाएं खास ख्याल रखें. सावधानियां बरतें. सूतक शुरू होने से ग्रहण खत्म होने तक घर से बाहर न निकलें. नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, कैंची, चाकू आदि का उपयोग किसी काम में नहीं करना चाहिए.

सूर्य ग्रहण – सूतक में क्या करें
सूतक काल लगने से पहले अनाज और तरल पदार्थों में तुलसी दल और कुश डाल दें. मान्यता है कि इससे इन चीजों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जा सकता है.

सूर्य ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले मंदिर के पट बंद कर दें. ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान करें. भगवान को भी गंगाजल से स्नान कराएं. इसकी समाप्ति पर पूरे घर में गंगाजल छि़ड़कर शुद्धिकरण करें.

ग्रहण और सूतक काल में पूजा की मनाही है लेकिन मंत्र का जाप करना अच्छा माना जाता है. इससे ग्रहण के अशुभ प्रभाव का असर नहीं होता. ग्रहण के समय महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण या फिर तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥ या विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥ इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.

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