बागेश्वर: सामान्यतौर पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में खिलने वाले उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश का फूल इस बार करीब दो महीने पहले ही खिल गया है। दिसंबर दूसरे सप्ताह में ही बुरांश में फूल खिलने को मौसम वैज्ञानिक पहाड़ में जलवायु परिवर्तन का असर मान रहे हैं। बुरांश हिमालयी क्षेत्रों में समुद्र तल से करीब 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर मिलता है। बुरांश के वृक्ष में अमूमन जनवरी के अंतिम सप्ताह से फूल खिलने शुरू होते हैं और मार्च-अप्रैल में यह लाल सुर्ख रंग के फूलों से लकदक हो जाता है। बुरांश उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, जबकि नेपाल में बुरांश के फूल को राष्ट्रीय पुष्प का दर्जा हासिल है। सुप्रसिद्ध पिंडारी ग्लेशियर ट्रेकिंग रूट पर बुरांश के वन हैं। इस बार कुदरत ने बुरांश की स्वाभाविक प्रक्रिया को गड़बड़ा दिया है।
नतीजतन, बुरांश के वृक्ष में जनवरी आखिर में खिलने वाले फूल दिसंबर दूसरे सप्ताह में ही खिलने शुरू हो गए हैं। औषधीय गुणों से भरपूर है बुरांश : बुरांश एक उपयोगी जड़ी-बूटी भी माना गया है। सिर दर्द, श्वास से जुड़े रोग और दाद-खाज-खुजली आदि में बुरांश लाभकारी बताया गया है। पहाड़ में तो कृषि यंत्र बनाने में बुरांश की लकड़ी का भी इस्तेमाल होता है। कुमाऊं के पारंपरिक तीज-त्योहारों में बुरांश के फूल का इस्तेमाल किया जाता है।
हार्ट टॉनिक माना जाता है बुरांश का जूस
बुरांश के फूल से तैयार जूस को हार्ट टॉनिक माना जाता है। लोग इसका जूस तैयार कराकर इस्तेमाल करते हैं। उत्तराखंड में उद्यान विभाग से लेकर कुछ अन्य सरकारी एजेंसियां भी बुरांश का जूस बनाने के काम में लगी हैं। चिकित्सा अधिकारी डॉ.एलएस बृजवाल कहते हैं कि हृदय रोगियों के लिए बुरांश का जूस लाभदायक होता है।