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कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी को लेकर जारी है रिसर्च, बूस्टर डोज पर सरकार ने कही ये बात

नई दिल्ली: कोरोना से लड़ने के लिए बॉडी में एंटीबॉडी कितने दिन तक रह सकती है, इसे लेकर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य मुल्कों में भी रिसर्च चल रही है. सरकार ने राज्य सभा में बताया कि इस बारे में वैज्ञानिक सबूत अभी जुटाए जा रहे हैं.

वैज्ञानिक कर रहे हैं रिसर्च
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्य सभा को बताया कि कोरोना एंटीबॉडी की स्थिरता की अवधि को समझने के लिए भारत और विदेश में कई रिसर्चर्स और वैक्सीन उत्पादकों की ओर से किए गए हैं. इस संबंध में वैज्ञानिक साक्ष्य अब भी विकसित हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि एंटीबॉडी के अतिरिक्त, ‘सेल्यूलर’ या ‘टी सैल’ एंटीबॉडी मैकेनिज्म को भी वैक्सीनेशन के जरिए तैयार किया जाता है. यह संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा देने में काफी अहम होता है. मंत्री ने कहा कि दिसंबर, 2021 तक, राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने कोरोना के कारण कुल 4,69,724 मौतों (वरिष्ठ नागरिकों सहित) की सूचना दी है.

बूस्टर डोज पर कही ये बात
बूस्टर डोज के जरिए इम्युनिटी बढ़ाने को लेकर पूछे गए सवाल पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (एटीएजीआई) और नेशनल कोविड वैक्सीनेशन एक्सपर्ट ग्रुप वैक्सीन का डोज शेड्यूल और बूस्टर डोज को लेकर वैज्ञानिक साक्ष्यों पर अभी रिसर्च कर रहे हैं.

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