राजनीति

देश में गठबंधन सरकारों का बुरा है इतिहास, 12 में से 7 बार गिरी

देहरादून (गौरव ममगाईं)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए विपक्षी पार्टियां इंडिया गठबंधन के बैनर तले एकसाथ आई हैं। इंडिया गठबंधन हर कोशिश में लगा है कि उनका कुनबा किस तरह और बढ़ता रहे। वर्तमान में 25 से ज्यादा पार्टियां जुड़ तो गई हैं, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते मुख्य विपक्षी पार्टियों के बीच आपसी खींचतान भी किसी से छिपी नहीं है। अब में संशय पैदा होने लगा है कि जब चुनाव से पहले ही इंडिया गंठबंधन के सहयोगी पार्टियों के बीच नूराकुश्ती का यह आलम है तो अगर ये सरकार में आये तो फिर क्या होगा ?

यह सवाल इसलिए भी जायज है क्योंकि देश में गठबंधन सरकारों का इतिहास बेहद बुरा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वतंत्रता के बाद से अब तक देश में कुल 12 बार गठबंधन सरकारें बनी, जिनमें 7 बार सरकारें डेढ़ साल के कार्यकाल से पहले ही गिरती रहीं। चलिये आइये जानते हैं भारत में गठबंधन सरकारों का इतिहास-

पूर्व पीएम मोरारजी देसाई

पहली गठबंधन सरकार 1977 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी के नेतृत्व में 13 पार्टियों के सहयोग से बनी थी, यह स्वतंत्र भारत की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। यह सरकार 2 साल भी पूरा नहीं कर सकी।

इसके बाद चौधरी चरण सिंह की जनता दल (सेक्युलर) के नेतृत्व में कुछ महीनों के लिए सरकार बनी।

1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। इस सरकार में धुर-विरोधी भाजपा व वामदल पहली बार एक साथ आये थे। 1990 में सरकार गिर गई।

1990 से 1991 तक चंद्रशेखर के नेतृत्व में गठबंधन सरकार महज 19 महीने ही चल सकी।

1996 में कांग्रेस व भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई, लेकिन अल्पमत होने के कारण जल्दी गिर गई।

1996 में संयुक्त मोर्चे के बैनर तले 13 पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई। प्रधानमंत्री एचडी देवगोड़ा के नेतृत्व में सरकार 10 महीने ही चली।

अप्रैल 1997 में इंद्रकुमार गुजराल के नेतृत्व में बनी सरकार भी कुछ महीने बाद ही गिर गई।

वर्ष 1998 में भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई, लेकिन यह भी जल्द गिर गई।

वर्ष 1999 में लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी यह पहली गठबंधन सरकार थी, जिसने 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।

इसके बाद 2004 व 2009 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए की सरकार लगातार 2 बार बनी। दोनों ही सरकारों में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।
2014 व 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। हालांकि, दोनों चुनावों में भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल किया।

गठबंधन सरकारों की क्यों होती है आलोचना ?

  • गठबंधन सरकारों में राजनीतिक दलों पर अक्सर प्रेशर पॉलीटिक्स करने के आरोप लगते रहे हैं।
  • सरकार राष्ट्रहित से जुड़े कठिन निर्णय नहीं ले पाती हैं।
  • गठबंधन सरकारों में राजनीतिक अस्थिरता की आशंका बनी रहती हैं, जिसके कारण विकास अवरूध्द होता है।
  • गठबंधन सरकारें दल-बदल को भी बढ़ावा देती हैं।
  • राजनीतिक पार्टियां ब्लैकमेलिंग कर अपने हितों को पूरा कराती हैं।
  • सरकार गिरने के बाद दोबारा चुनाव का बोझ पड़ता है, जिससे चुनाव में हजारों करोड़ के सरकारी धन का नुकसान होता है।

आज धारा-370, ब्रिटिशकाल के समय से चले आ रहे अपराध कानून को खत्म करने की बात हो या फिर अयोध्या में श्रीराम लला के आगमन पर भव्य आयोजन की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूती के साथ कठिन व ऐतिहासिक निर्णय ले रहे हैं। यह सब इसलिए संभव हुआ है कि आज उन्हें देश की जनता ने प्रचंड बहुमत दिया है, जिसके कारण पीएम मोदी कोई भी कड़ा निर्णय लेने से जरा भी हिचकते नहीं है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो वो राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को भुलाकर राष्ट्रहित में ऐसे कड़े कदम उठा सकेगी ?

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