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सबसे गर्म साल था 2023, दक्षिणी ध्रुव में भी कम जमी थी बर्फ, कैसा रहेगा 2024 ?

देहरादून (गौरव ममगाईं)। वर्ष 2023, मौसम के लिहाज से देखें तो विश्व का सबसे गर्म साल रहा । धरती व सागर में गर्म हवाओं के तापमान में रिकॉर्ड वृध्दि दर्ज हुई, जिसके कारण विश्वभर में रिकॉर्ड गर्मी देखी गई। गर्मी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सालभर बर्फ से ढके रहने वाले अंटार्कटिका में बर्फ के विस्तार में कमी दर्ज हुई। इस तस्वीर ने वैज्ञानिकों को भी खासा चिंता में डाल दिया है। यह तथ्य ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोध में सामने आयी है। वैज्ञानिकों ने आशंका जतायी है कि मौजूदा साल 2024 में भी इस तरह की मौसमीय मार झेलनी पड़ सकती है। बता दें कि भारत के दिल्ली में भी पिछले साल रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई थी।

जलवायु परिवर्तन

तापमान वृध्दि का क्या है कारण ?

रिपोर्ट के अनुसार, सागरीय क्षेत्रों में गर्म लहरों का तापमान सामान्य से काफी अधिक दर्ज किया गया है। इस कारण समुद्री चक्रवातों को मजबूती मिल रही है। ये चक्रवात तटीय क्षेत्रों में बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। चक्रवाती तूफानों के कारण वर्षा भी अधिक होती है, जिससे जलस्रोतों में जल की मात्रा भी लगातार कम हो रही है। धरती सूखने के कारण गर्म होने लगी है।

इसके अलावा जीवांश्म ईंधन को जलाने से भी कार्बन-डाई-ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ रही है, जिससे तापमान में लगातार वृध्दि दर्ज की जाने लगी है। एक अध्ययन में सामने आया है कि बड़े तालाबों के जल में भी ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य से काफी कम पायी गई है, जिससे मछलियों की मौत भी देखने को मिली है।

रिपोर्ट के प्रमख तथ्यः

  • गर्म व बर्फीले अक्षांशीय क्षेत्रों में सागर व धरती पर तापमान में बड़ा अंतर देखने को मिला है। भू-मध्य सागर में पिछले साल 2023 में अगस्त के महीने में 28.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो 4 दशक में सबसे ज्यादा तापमान रहा।

 इसी तरह उत्तर अटलांटिक क्षेत्र में रूस के ठंडे सागरीय क्षेत्र में 8 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दर्ज किया गया।

  • दक्षिणी अमेरिका के बोलीविया में पहली बार 45 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, तापमान में अप्रत्याशित वृध्दि के कारण हीट वेव में करीब 100 गुना तेजी दर्ज की गई है। हर साल इसमें वृध्दि होती रहेगी।
  • सबसे चौंकाने वाली तस्वीर ये रही कि सालभर बर्फ से ढके रहने वाले अंटार्कटिका में भी तापमान में गिरावट देखी गई, जिसके कारण बर्फ पिघलने लगी। वर्ष 2023 में करीब 15 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बर्फ का विस्तार सामान्य से कम रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 10 हजार से ज्यादा पैंगुइन के बच्चे मरने की सूचना है। इनकी मौत का कारण भी बर्फ के पिघलने को माना गया है।

  • तापमान में वृध्दि के कारण वर्षा व वाष्पीकरण की प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ेगा, जिससे मानसून के कमजोर होने और वर्षा में समयकाल एवं स्थानिक परिवर्तन होने का अनुमान है। इससे बाढ़ व सूखा के हालात बनेंगे।  

वहीं, वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर चेतावनी जारी की है और पूरे विश्व में इसका दुष्परिणाम मिलने का आशंका जतायी है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि पिछले साल की तरह इस साल भी वैश्विक तापन की मार झेलनी पड़ सकती है। वैज्ञानिकों ने आगाह किया कि जब तक दुनिया के सभी देश कार्बन उत्सर्जन को शून्य नहीं करते, तब तक राहत की उम्मीद करना व्यर्थ है। इसमें भी जितनी देरी होगी, उतना खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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