अन्तर्राष्ट्रीय

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा वैश्विक मंदी का असर

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी अमरीकी अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी का असर दिखने लगा है। हालात ऐसे हो चले हैं कि नौकरी बाजार में कदम रखने से पहले अब भारतीयों को इंटर्नशिप करने के प्रस्ताव भी नहीं मिल पा रहे हैं। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि आइवी लीग विश्वविद्यालयों के छात्रों को भी इंटर्नशिप प्रस्ताव पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि आइवी लीग संयुक्त राज्य अमरीका में आठ प्रतिष्ठित निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का एक समूह है, जो अपनी अकादमिक उत्कृष्टता, समृद्ध इतिहास और चयनात्मक प्रवेश प्रक्रिया के लिए जाना जाता है। इस समूह में ब्राउन यूनिवर्सिटी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, डार्टमाउथ कॉलेज, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

चुनावी वर्ष में स्थानीय छात्रों को ज्यादा रोजगार
अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के चलते इंटर्नशिप ऑफर नौकरी का अनुभव हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। अमरीका में कई छात्रों, शिक्षा सलाहकारों और भारतीय-अमरीकी पेशेवरों का कहना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी ने प्रवेश स्तर की नौकरी के अवसरों को बुरी तरह प्रभावित किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका में चुनावी वर्ष में कई कंपनियां स्थानीय छात्रों को नौकरी पर रखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही हैं। जिसके चलते बढ़ती हुई महंगाई, जीवन यापन की बढ़ती लागत और स्थानीय लोगों की बेरोजगारी ने इस साल अमरीका में स्नातक होने वाले भारतीय छात्रों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।

400 छात्रों को नहीं मिला इंटर्नशिप
शिक्षा परामर्श कंपनी कॉलेजिफाई के सह-संस्थापक आदर्श खंडेलवाल के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि आइवी लीग स्कूलों सहित पूर्वी तट और पश्चिमी तट में अंतिम वर्ष में लगभग 400 स्नातक ऐसे छात्र थे, जिन्हें इस गर्मी में कोई इंटर्नशिप ऑफर नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि एनवाईयू स्टर्न, यू.सी. बर्कले, ब्राउन यूनिवर्सिटी, पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और ऑस्टिन में टेक्सास यूनिवर्सिटी जैसे शीर्ष अमरीकी कॉलेजों में भी भारतीय संघर्ष कर रहे हैं। इनमें से बहुत से बच्चे भारत में दाखिला पाने के लिए मदद मांगने के लिए हमारे पास पहुंचे हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान में पढ़ाई कर रहे 22 वर्षीय अंतिम वर्ष के स्नातक छात्र का उदाहरण देते हुए खंडेलवाल ने कहा कि उसने पिछले छह महीनों में कई कंपनियों में आवेदन किया है, लेकिन अभी तक उसे ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप नहीं मिली है।

कंपनियां कर रही है कर्मचारियों की छंटनी
इस वर्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एस.टी.ई.एम.) के छात्र भी कठिन हालात से गुजर रहे हैं। कोविड महामारी से पहले ऐसे छात्रों की नौकरी बाजार में काफी ज्यादा मांग थी, हालांकि अब प्रौद्योगिकी, परामर्श और नए जमाने की कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हालात ऐसे समय में पैदा हुए हैं जब अमरीकी कॉलेज भारतीयों सहित विदेशी छात्रों को लुभाने में लगे हुए हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अमरीका में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या अन्य देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है।

अप्रैल में रोजगार में गिरावट
फॉक्स बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका में अप्रैल में रोजगार में तेज गिरावट आई है, जबकि बेरोजगारी दर अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि उच्च ब्याज दरें और बेकाबू होती महंगाई श्रम बाजार पर दबाव डालने लगी है। लेबर डिपार्टमेंट ने अपनी मासिक पेरोल रिपोर्ट में कहा है कि अप्रैल में कंपनियों ने 175,000 नौकरियां दी हैं। हालांकि यह आंकड़ा अर्थशास्त्रियों की ओर से लगाए गए 243,000 वृद्धि के पूर्वानुमान से कम है।

बेरोजगारी दर बढ़कर 3.9 फीसदी
बताया जा रहा है कि बीते अक्टूबर के बाद से अप्रैल रोजगार पैदा करने के मामले में सबसे खराब महीना रहा है। इस बीच बेरोजगारी दर बढ़कर 3.9 फीसदी हो गई, जबकि उम्मीद थी कि यह 3.8 फीसद पर स्थिर रहेगी। अप्रैल में वेतन वृद्धि भी धीमी रही और महंगाई की एक प्रमुख माप औसत से प्रति घंटा आय 0.2 फीसद बढ़ी, जो उम्मीद से कम है। वार्षिक आधार पर अप्रैल में वेतन में 3.9 फीसद की बढ़ोतरी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में स्वास्थ्य सेवा में 56,200 नए कर्मचारियों को शामिल किया गया है, जिसके साथ यह क्षेत्र रोजगार सृजन में अग्रणी रहा। रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाने वाले अन्य क्षेत्रों में सामाजिक सहायता (30,800), परिवहन और भंडारण (21,800) और निर्माण (9,000) शामिल हैं।

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