गैलेक्सी में ब्लैक होल की बढ़ती संख्या बनी चिंता का कारण, वैज्ञानिक ने बताई ये डराने वाली बात
टेक्सास: अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास स्थित मैकडोनॉल्ड अबसर्वेटरी ने मिल्की वे आकाशगंगा के मध्य एक असामान्य और बड़े ब्लैक होल का पता लगाया है। यह आकाशगंगा में मिले संदिग्ध ब्लैक होल के बराबर बताया जा रहा है। इस नए ब्लैक होल को लियो नाम दिया गया है। गैलेक्सी में ब्लैक होल की बढ़ती संख्या वैज्ञानिकों के लिए चिंता कारण बन गई है।
आकाशगंगा का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 20 मिलियन गुना है। ब्लैक होल का द्रव्यमान करीब 3.3 मिलियन सौर द्रव्यमान है या आकाशगंगा के कुल द्रव्यमान का लगभग 16 फीसदी है। खगोलशास्त्री कार्ल गेभार्ट ने एक इंग्लिश न्यूज पेपर से कहा कि, हमारे पास एक छोटी आकाशंगगा है जो कि मिल्की वे में गिर रही है और इसका ब्लैकहोल आकाशगंगा जितना विशाल है। दोनों के बीच यह अनुपात काफी बड़ा है। इससे पहले रिसर्चर को यह विश्वास था कि आकाशगंगा में टकराव से बड़े ब्लैक होल्स बने हैं और उनकी साइज गैलेक्सी के अनुपात में होनी चाहिए।
हालांकि इस ब्लैक होल के बारे में पता चलने के बाद वैज्ञानिकों को अपने आकलन को लेकर फिर से विचार करने की जरुरत पड़ सकती है। साइंटिस्ट गेभार्ट के अनुसार,यह खोज बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि खगोलविद पिछले 20 वर्षों से लियो आई जैसी आकाशगंगाओं का अध्ययन कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि आकाशगंगाओं के अंदर डार्क मैटर कैसे बिखरा हुआ है। दरअसल ब्लैक होल अपनी तरफ आने वाली रोशनी को सोख लेता है। इसे नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता। कई ब्लैक होल सूर्य से 50 से 100 गुना तक बड़े हो सकते हैं। एक रिसर्च में यह अनुमान लगाया गया है कि ब्रह्मांड के विस्तार से ब्लैक होल बड़े हो रहे हैं और इसकी वजह से भविष्य में असामान्य घटनाएं हो सकती हैं।
इससे 10 लाख करोड़ सूर्य के बराबर प्रकाश उत्पन्न हो रहा है। जिसका नाम ओजे 287 है। यह खोज ब्रह्मांड की शुरुआत में आकाशगंगाओं के निर्माण, प्रभाव और विकास में उच्च गुरुत्वाकर्षण और पदार्थ के त्वरण की भूमिका का अध्ययन करने में मदद कर सकती है।इससे पहले भारतीय खगोलशास्त्रियों ने 5 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित दो ब्लैकहोल की अवस्था वाली एक दुर्लभ आकाशगंगा के बारे में पता लगाया था। इस गैलेक्सी में सामान्य से 10 गुना ज्यादा एक्स-रे उत्सर्जन देखा गया।