उत्तराखंड

गैरसैंण सत्र से शुरू होगा सबसे जरूरी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं का सफर: मुख्यमंत्री धामी

देहरादून ( विवेक ओझा) : मुख्यमंत्री धामी गैरसैंण में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने के साथ ही धामी सरकार ने अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को दिखाना शुरू कर दिया है। ये प्रतिबद्धता है उत्तराखंड की सुरक्षा, प्रगति और विकास को सुनिश्चित करने की और इसके लिए राज्यवासियों का विश्वास बेहद जरूरी है और गैरसैंण में विधानसभा सत्र की शुरुआत इसी जनविश्वास को पाने का प्रतीक है। गैरसैंण से भराड़ीसैंण के बीच दिवालीखाल से विधानसभा भवन तक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण अब उत्तराखंड की विधायी प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहा है, यह देखना सुखद है। सत्र ठीक सुबह 11 बजे शुरू होते ही विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सदन संचालन के लिए कार्यमंत्रणा समिति की सिफारिशों से सदन काे अवगत कराया।

तीन दिवसीय सत्र के पहले दिन सदन में पक्ष और विपक्ष ने केदारनाथ सीट से विधायक शैलारानी रावत और चंपावत सीट से पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी के निधन पर शोक जताकर श्रद्धांजलि दी। सीएम पुष्कर सिंह धामी, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, मंत्री सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, रेखा आर्य, सुबोध उनियाल, सौरभ बहुगुणा, गणेेश जोशी समेत पक्ष व विपक्ष के विधायकों ने अपना शोक जताया।

वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रेेमचंद अग्रवाल ने तीन अध्यादेश सदन पटल पर रखे: उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश-2024 उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन अध्यादेश-2024उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916) संशोधन अध्यादेश-2024

विपक्ष ने भी घेरने की है तैयारी : विधानसभा सत्र की अवधि भले ही सीमित है, लेकिन कांग्रेस प्रदेश सरकार पर आक्रमण का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देना चाहती। कानून व्यवस्था विशेष रूप से महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं, आपदा प्रबंधन में कमियों, कड़ा भू-कानून, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर मुख्य विपक्षी दल के विधायक सत्तापक्ष पर हमला बाेलने की बात कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में तय किया गया कि पार्टी सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए सरकार को विवश करेगी। केदारनाथ व अन्य क्षेत्रों में आपदा से हुए जानमाल के नुकसान, आपदा प्रबंधन में कमियों को लेकर भी धामी सरकार के विधायकों के निशाने पर रहने के आसार हैं।

विधायकों ने लगभग 500 प्रश्न विधानसभा में लगाए हैं। इस सत्र में अनुपूरक बजट भी पेश किया जाना है जिसे कैबिनेट मंजूरी दे चुकी है।

धामी सरकार विपक्ष को जवाब देने को तैयार: मुख्यमंत्री धामी का मानना है कि विपक्ष का काम ही है हमलावर होना। विपक्ष चाहे जितना हमलावर हो जाए, कुतर्कों के जरिए अपने पक्ष में चाहे जितना माहौल बनाने का प्रयास कर ले , उत्तराखंड की सियासी जमीन उसके राजनीतिक मंसूबों के लिए बंजर ही साबित होगी। वहीं मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के समावेशी विकास के लिए एक के बाद एक ब्लू प्रिंट को अमल में लाने की बात की है। धामी सरकार का साफ तौर पर कहना है कि उत्तराखंड की संप्रभुता और प्रादेशिक अखंडता से खिलवाड़ करने वाले तत्वों को उनकी सही जगह दिखाने का समय भी आ चुका है।

अगर कोई भी उपद्रवी, अराजक व्यक्ति चाहे वो किसी जाति पंथ मजहब का हो , अगर वो राज्य की सार्वजनिक संपत्ति या फिर निजी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करता है तो उसे इसका गंभीर परिणाम भुगतना होगा। सरकार इसके लिए विधेयक को पारित कराने के लिए तैयार बैठी है। नगर पालिका और नगर निगमों का बेहतर प्रभावी प्रशासन देकर धामी सरकार पंचायती राज व्यवस्था को नए सिरे से मजबूती देगी। साथ ही धामी सरकार को इस बात की निगरानी रखनी आवश्यक है कि ये निकाय भ्रष्टाचार को बढ़ावा न देने पाए। सुशासन के लिए प्रभावी विधायी उपायों के साथ ही धामी सरकार 2025 तक एक विकसित, सशक्त उत्तराखंड की नींव अभी से रच सकती है।

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