अभी और सस्ता होगा लोन, अगस्त में फिर रेपो रेट घटा सकता है RBI- वित्त मंत्रालय ने बताई ये बातें

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास रेपो रेट में और कटौती की गुंजाइश है। इसका कारण खुदरा महंगाई (मुद्रास्फीति) के 4 प्रतिशत के औसत लक्ष्य से काफी नीचे होना है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई फरवरी से ही लगातार 4 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और मई में ये 6 साल के निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर आ गई थी। वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मुख्य महंगाई नरम बनी हुई है और कुल मिलाकर महंगाई आरबीआई के 4 प्रतिशत के औसत लक्ष्य से काफी नीचे है। इससे रेपो रेट में और कमी की गुंजाइश है।’’ बताते चलें कि रेपो रेट घटाए जाने से होम लोन, कार लोन समेत सभी लोन सस्ते हो जाते हैं, जिससे आम लोगों की मंथली ईएमआई भी घट जाती है।
इस साल रेपो रेट में 1 प्रतिशत की कटौती कर चुका है आरबीआई
आरबीआई इस साल फरवरी से लेकर जून तक रेपो रेट में कुल 1 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। रेपो रेट निर्धारित करने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 4 से 6 अगस्त को होगी। आरबीआई ने वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहली तिमाही में वास्तविक मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य से कम रही। सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ऐसा मालूम पड़ता है कि पूरे वित्त वर्ष में महंगाई दर केंद्रीय बैंक के 3.7 प्रतिशत के अनुमान से कम रहेगी।’’
टैक्स कटौती के बावजूद राजस्व स्रोत मजबूत
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ओपेक (तेल निर्यातक देशों के संगठन) और उसके सहयोगियों द्वारा अनुमान से कहीं ज्यादा उत्पादन बढ़ोतरी के बाद, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें कम रहने की उम्मीद है। ओपेक और उसके सहयोगियों ने अगस्त में उत्पादन में 5,48,000 बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी की, जो पिछले महीनों में घोषित उत्पादन वृद्धि से अलग है। राजकोषीय मोर्चे पर, केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों ने राजकोषीय मजबूती के लक्ष्यों पर कायम रहते हुए पूंजीगत व्यय में गति बनाए रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स कटौती के बावजूद राजस्व स्रोत मजबूत बने हुए हैं और दहाई अंक में बढ़ोतरी जारी है।