बहराइच: वन अधिकार आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक सम्पन्न, वन विभाग की कार्यवाही पर उठे सवाल
23 जून 2022 की शाम को वन विभाग की टीम ने ककरहा निवासी सुरेश जायसवाल के घर में घुसकर तोड़फोड़ की तथा बुलडोजर लगाकर घर को तहस-नहस कर दिया
बहराइच: वन अधिकार आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ताओं की मासिक बैठक शनिवार को गिरजापुरी में हुई। बैठक में टाटा इंस्टीयूट आफ सोशल सांइस के कई शोधकर्ता भी मौजूद रहे उन्होने वनग्रामों के राजस्व ग्राम में परिवर्तन के बाद हो रहे विकास कार्यों पर जानकारी लिया। बैठक में ककहरा में एक वन निवासी परिवार पर वन विभाग के द्वारा बुलडोजर से घर गिराने के मुद्दे पर बैठक छाया रहा और रेन्जर ककहरा रामकुमार के विरुद्ध निन्दा प्रस्ताव पारित किया गया।
बैठक को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिन्दुस्तानी ने कहा कि यह दुःखद बात है कि 23 जून 2022 की शाम को वन विभाग की टीम ने ककरहा निवासी सुरेश जायसवाल के घर में घुसकर तोड़फोड़ की तथा बुलडोजर लगाकर घर को तहस-नहस कर दिया। विरोध करने पर उनकी माता तथा बेटे के साथ मारपीट भी की, जिससे उनकी मां को गंभीर चोट आयी है। यह घटना इस बात को साबित करती है कि वन विभाग वन अधिकार कानून को समझ नहीं पा रहा है और लगातार उल्लंघन कर रहा है।
ग्राम स्तरीय वन अधिकार समितियों के साझा मंच के अध्यक्ष सरोज कुमार गुप्ता ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री योगी जी की ओर से अधिकारियों को सख्त निर्देश हैं कि गरीब की झोपड़ी पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, यह केवल पेशेवर अपराधियों और भूमाफियाओं के लिए है। गरीब अगर किसी अनधिकृत जगह घर बनवा भी लिया है, तो पहले उसे कहीं घर आवंटित किया जाए, फिर उसकी सहमहित से ही उसे दूसरी जगह पुनस्र्थापित किया जाये फिर वन विभाग की यह कार्यवाही क्यों?
पीड़ित अंकित जायसवाल ने कहा कि उनके पिता सुरेश जायसवाल एक परंपरागत वन निवासी हैं। उनके बाबा लगभग 1914-15 में जंगल क्षेत्र में वनटांगिया मजदूर के रूप में काम करने के लिए यहां आए थे। बाद में जब वनटांगिया पद्धति से जंग लगने का काम चल रहा था तो वन विभाग ने वनटांगिया मजदूरों को ककरहा में जमीन आवंटित कर दी। उसके पिता डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति हैं और दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं। किसी तरह चाय-पानी की दुकान करके अपनी आजीविका चलाते हैं। रेंजर ने व्यक्तिगत द्वेष से उन्हें बेघर कर दिया है। पुलिस को तहरीर दी गई है लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।
वन अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता नन्दकिशोर ने कहा कि 2006 में वन अधिकार कानून आने के बाद तथा 2012 के संशोधन के बाद वनबस्ती ग्राम के रूप में ककहरा को स्वीकृति मिली। इसमें ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति का गठन भी हो चुका है और दावा सत्यापन के लिए फार्म उपलब्ध कराया जा रहा है फिर भी वन विभाग ने रेंजर राम कुमार के नेतृत्व में अचानक पहुंचकर गुरुवार की शाम को उनके छप्पर वाले घर को जेसीबी लगाकर तहस-नहस कर दिया और विरोध करने पर परिजनों के साथ मारपीट की। वन विभाग की यह कार्यवाही वन अधिकार कानून-2006 का उल्लंघन है।
वन अधिकार आंदोलन के महासचिव फरीद अंसारी ने कहा कि वन अधिकार कानून के तहत जब तक मान्यता सत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक किसी भी वननिवासी परिवार को हटाया नहीं जा सकता है। वन अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता समीउदीन खान ने कहा कि ककरहा रेंजर की यह कार्यवाही निंदनीय है। अवकाश से वापस होने के बाद प्रभागीय वन अधिकारी आकाशदीप बधावन से इस मुद्दे पर ठोस वार्ता की जाएगी और संतोषजनक कार्यवाही न होने पर वन अधिकार आंदोलन, बहराइच इस मुद्दे को लेकर आंदोलन भी करेगा।
बरसात के बावजूद बड़ी संख्या में वन अधिकार आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ता मौजूद रहे और वन विभाग के उत्पीड़न के खिलाफ नारेबाजी की।